हरिद्वार, कोविड-19 के चलते हुए देश में ना जाने कितने बच्चों ने अपने मां-पिता को खो दिया है जिसके बाद सरकार ने इन बच्चों के विषय में सोचते हुए वात्सल्य योजना शुरू की है इस योजना के तहत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अनाथ बच्चों के लिए मामा बनकर और मंत्री रेखा आर्य भी बुआ बनकर कार्य करेंगे वही करोनो की पहली और दूसरी लहर ने देश में कहर बरपाया था जिसके चलते काफी बच्चे अनाथ हो गए थे मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता दर्शन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने डीबीटी द्वारा योजना में चिन्हित बच्चों के बैंक खातों में 3-3 हजार रूपए की सहायता राशि ट्रांसफर की। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, श्रीमती रेखा आर्या, विधायक धन सिंह नेगी, सचिव हरि चंद्र सेमवाल सहित अन्य विशिष्ट जन उपस्थित थे।
विभाग की ओर से इस तरह के अब तक 2311 बच्चे चिन्हित कर लिए गए हैं, लेकिन फिलहाल 27 फीसदी बच्चों को ही वात्सल्य मिलेगा। जिलाधिकारियों की ओर से इन बच्चों के सत्यापन का काम पूरा कर लिया गया है। जबकि चिन्हित किए गए अन्य बच्चों के सत्यापन की प्रक्रिया अभी चल रही है।
विभागीय सचिव हरि चंद्र सेमवाल के मुताबिक शुरुआत में 640 बच्चों के सत्यापन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इन सभी बच्चों के एकाउंट भी खोल दिए गए हैं। जिन्हें डीबीटी के माध्यम से आर्थिक सहायता मिलेगी। जबकि अन्य बच्चों का संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों के माध्यम से सत्यापन कराया जा रहा है।
विभागीय सचिव ने कहा कि जैसे-जैसे सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होती रहेगी, चिन्हित किए गए अन्य बच्चों को भी योजना का लाभ मिलने लगेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सरकार की ओर से योजना का दायरा बढ़ाते हुए कोविड के अलावा अन्य बीमारियों से माता-पिता या दोनों में से किसी एक की मौत पर अनाथ हुए बच्चों को भी योजना का लाभ दिया जा रहा है। कुल 2347 बच्चे चिन्हित, प्रथम चरण में 1062 बच्चे लाभान्वित:दिनांक 01 अगस्त, 2021 तक जन्म से 21 वर्ष तक की आयु के कुल 2347 बालक/बालिका चिन्हित किये गये है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के शुभारम्भ के अवसर पर प्रथम चरण में कुल 1062 बच्चों को लाभान्वित किया जा गया है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के संचालन हेतु एमआईएस पोर्टल बनाया जा रहा है, जिसमें समस्त बच्चों का विवरण जनपदों द्वारा ऑनलाइन भरा जायेगा। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजनान्तर्गत प्रतिमाह 3 हजार रूपए के मानकानुसार जुलाई, 2021 से प्रारम्भ करते हुए निदेशालय द्वारा पी०एफ०एम०एस० के माध्यम से डी०बी०टी० सीधे चिन्हित बच्चों के बैंक खातों में धनराशि भेजी जायेगी।
सीएम ने आगे कहा कि, ‘यह पहली योजना होगी जिसमें हम चाहते हैं कि योजना में आच्छादित बच्चों की संख्या इतनी ही बनी रहे, और किसी बच्चे को इसकी जरूरत न हो. फिर भी हम इनकी पूरी देखभाल करेंगे. ये बच्चे पूरे प्रदेश की पहचान बनेंगे. अपने-अपने क्षेत्र में वे लीडर बनेंगे.’ पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभावों में संघर्ष करने वाले अपनी संकल्प शक्ति से आसमान को छूते हैं.