हरिद्वार, उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक सरकार ने आदेश जारी किया है की कावड़ यात्रा के दौरान जितनी भी दुकान रास्ते में होगी उन पर दुकानदारों का नाम होना अनिवार्य है जिसके चलते पहले ही आदेश उत्तर प्रदेश में लागू हुआ था वहीं आज उत्तराखंड में भी लागू कर दिया गया है वही इस आदेश के बाद राजनीति शुरू हो गई
तमाम विपक्षी दलों ने ‘नेमप्लेट’ वाले आदेश का कड़ा विरोध किया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों अखिलेश यादव और मायावती समेत कई विपक्षी नेताओं ने इसे सामाजिक सौहर्द बिगाड़ने वाला फरमान बताया है। उधर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि यह कांवड यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए लिया गया है।
मुजफ्फरनगर से शुरू हुए आदेश के बाद तमाम विपक्षी दलों ने भाजपा सरकारों को कटघरे में खड़े करना शुरू कर दिया। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘यह मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की दिशा में उठाया कदम है या दलितों के आर्थिक बहिष्कार का, या दोनों का, हमें नहीं मालूम। जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा, अब वो यह भी तय करेंगे कि कौन किससे क्या खरीदेगा?’
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सामाजिक सद्भाव की दुश्मन है। समाज का भाईचारा बिगाड़ने का कोई न कोई बहाना ढूंढ़ती रहती है। उन्होंने यह मांग की कि न्यायालय स्वतः संज्ञान ले और प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर उचित कार्रवाई करे।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ‘नेमप्लेट’ वाले आदेश को ‘धर्म विशेष के लोगों का आर्थिक बहिष्कार करने का प्रयास’ करार दिया। उन्होंने एक एक्स पोस्ट में कहा कि यूपी और उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कांवड़ मार्ग के व्यापारियों को अपनी-अपनी दुकानों पर मालिक व स्टाफ का पूरा नाम प्रमुखता से लिखने और मांस बिक्री पर भी रोक का यह चुनावी लाभ हेतु आदेश पूर्णतः असंवैधानिक है। इसके अलावा, एनडीए में सहयोगी जदयू, लोजपा (आर) और रालोद ने भी फैसले पर आपत्ति जताई है।