उत्तराखंड, जागो सरकार जागो एंबुलेंस वाले मांगते हैं 10 से 15 हजार रुपए शर्मनाक एम्बुलेंस नहीं मिली तो गाड़ी की छत पर शव को रखकर 200 किलोमीटर ले गई बहन

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हरिद्वार, भाजपा सरकार अपने बड़े बड़े वायदे जनता को गिनवाती है लेकिन कभी एंबुलेंस वालों को भी देखो जो जीने या मरने पर दुखी लोगों से मोटी रकम लेते है वही उनके के लिए कोई खुशी हो या गम हमे तो नोट लेने है एक दम वही ऐसा ही मामला उत्तराखंड से सामने आ है जहां एंबुलेंस ना मिलने के कारण एक बहन अपने भाई के शव को गाड़ी की छत पर बांध कर 200 किलोमीटर ले गई जब उसने एम्बुलेंस वालो से बात की तो उन्होंने 10 से 15 हजार रुपया मांगे गए जो उस गरीब के पास नहीं थे

मिली जानकारी अनुसार गरीबी के कारण तमोली ग्वीर बेरीनाग पिथौरागढ़ निवासी शिवानी हल्द्वानी में काम करने आई। वह हल्दूचौड़ में एक कंपनी में करीब छह महीने से काम कर रही थी। घर में माता-पिता एक भाई और एक बहन हैं। पिता बुजुर्ग होने के कारण पहाड़ में ही खेती बाड़ी करते हैं। उसने अपने भाई अभिषेक कुमार (20) पुत्र गोविंद प्रसाद को भी कंपनी में काम करने बुला लिया। दो महीने पहले ही अभिषेक हल्दूचौड़ पहुंचा। शिवनी हल्दूचौड़ में ही किराए के कमरे में रहती थी। भाई ने अज्ञात कारणों के चलते विषैला पदार्थ गटक लिया। बहन एक प्राइवेट कंपनी में काम करती है। उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह शव को एंबुलेंस में लेकर जा सके। उसने गांव वाले टैक्सी मालिक से मदद मांगी। इसके बाद शव को रिश्तेदार और टैक्सी वाले की मदद से छत में बांधकर ले गई।

शिवानी ने बताया कि शुक्रवार सुबह वह और भाई दोनों काम करने गए। एक घंटा काम करने के बाद अभिषेक ने सिर में दर्द होने की वजह से कंपनी से छुट्टी ली और घर गया। इसके बाद उसकी बहन ने उसे कई बार कॉल किया। लेकिन अभिषेक ने कॉल नहीं उठाई। दिन में खाना खाने के समय शिवानी घर गई, तो वहां दवाई की बदबू आ रही थी। लेकिन घर में कोई नहीं था।

करीब ढ़ाई बजे पुलिस ने शिवानी को सूचना दी कि उसका भाई रेलवे पटरी के पास बेसुध गिरा है। पुलिस की मदद से अभिषेक को सुशीला तिवारी अस्पताल लाया गया। जहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उधर घर पर सूचना के बाद रिश्तेदार भी बेरीनाग से हल्द्वानी पहुंच गए। उधर शनिवार को पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया।

शिवानी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह शव को एंबुलेंस में घर ले जा सके। उसने एंबुलेंस वालों से पूछा तो किसी ने 10 तो किसी ने 15 हजार रुपये शव ले जाने के मांगे। उधर शिवानी ने पैसे की कमी के कारण अपने गांव के टैक्सी मालिक से संपर्क किया। इसके बाद शव को टैक्सी के उपर बांधकर बेरीनाग ले जाया गया। अभिषेक घर का इकलौता पुत्र था। उसकी दो बहनें हैं। उधर परिजनों ने बताया कि अभिषेक की मौत की खबर सुनकर मां-पिता ने खाना छोड़ दिया है। यह सुनकर उनकी तबियत भी खराब हो गई है। वह बार-बार वह बेहोश हो जा रहे हैं।

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