हरिद्वार,उत्तरकाशी के पुरोला महापंचायत को लेकर उत्तराखंड HC सख्त हो गया है। हाईकोर्ट ने आज कहा कि इस तरह के मामलों में सरकार को सख्ती से कदम उठाकर विधि मुताबिक कार्यवाई करनी चाहिए। हाईकोर्ट ने इसी के साथ किसी भी प्रकार की टीवी डीबेट और सोशल मीडिया के लिए महापंचायत की किसी भी प्रकार की पोस्ट के उपयोग पर रोक लगा दी है।
मिलि जानकारी अनुसार कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में कोई टीवी डिबेट नहीं होगी और न ही इंटरनेट मीडिया का उपयोग किया जायेगा। आपत्तिजनक नारों पर भी रोक लगाई है। कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों पर मुकदमा दर्ज है, पुलिस उसकी जांच करे और राज्य सरकार को इस मामले में तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
एसोसिएशन फॉर द प्रोटक्शन ऑफ सिविल राइट्स के सदस्य अधिवक्ता शाहरुख आलम ने बुधवार को महापंचायत पर रोक लगाने को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। बताया कि उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की अवकाश कालीन खंडपीठ के समक्ष अपील की थी। लेकिन सुप्रीम की पीठ से इस याचिका को सुनने से इंकार करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने को कहा। जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने इस याचिका को सुनने की मंजूरी दे दी थी।
शाहरुख आलम ने कोर्ट को बताया कि पुरोला की एक नाबालिग लड़की को दो युवकों द्वारा बहला फुसलाकर भगाने के बाद पुरोला में सांप्रदायिक तनाव बना हुआ है। हालांकि आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं । इसके बाद पुरोला से धर्म विशेष की दुकानों को खाली कराया जा रहा है और उन दुकानों के बाहर धार्मिक संगठन ने चेतावनी भरे पोस्टर लगाए हैं। उन्होंने कहा कि आशंका है कि महापंचायत हुई तो वहां धार्मिक संगठनों के नेताओं द्वारा ‘हेट स्पीच’ दी जा सकती है। जिससे सांप्रदायिक माहौल खराब हो सकता है।
सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने याचिका को फर्जी व एकपक्षीय तथा राजनीति से प्रेरित करार देते हुए निरस्त करने की प्रार्थना की। महाधिवक्ता ने बताया कि महापंचायत को आयोजकों ने खुद ही स्थगित कर दिया है।
डीजीपी ने खुद इसकी जानकारी दी है। कहा कि याचिकाकर्ता को घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उत्तरकाशी के मामले का टिहरी गढ़वाल होने का उल्लेख किया है। एक पक्ष को आरोपित बनाया है जबकि दूसरे पक्ष के अपराधों को छिपाया है। हिंदू पक्ष पर आरोप लगाए हैं लेकिन उन्हें याचिका में पक्षकार नहीं बनाया।
उन्होंने बताया कि याचिका के बारे में फर्जी बयान दिए जा हैं। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई।