हरिद्वार,बेबी रानी मौर्य ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा सौंपा है। बेबी रानी मौर्य को यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की अटकलें हैं। उनके बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ने की भी चर्चा चल रही है। बता दें कि बेबी रानी मौर्य आगरा की मेयर रह चुकी हैं. उत्तराखंड की राज्यपाल के तौर पर वो तीन साल पूरे कर चुकी हैं. बता दें कि यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
इन सबके बीच राज्यपाल के पद से उनकी विदाई के पीछे राज्य की भाजपा सरकार और राजभवन के बीच खिंचाव को भी अहम वजह माना जा रहा है। दोनों के बीच समन्वय की कमी की शिकायतें केंद्र सरकार और पार्टी हाईकमान तक भी पहुंचीं। विधानसभा से पारित विधेयकों के राजभवन में लंबे समय तक रुके रहने से भाजपा सरकार को कई मौकों पर असहज होना पड़ा। पारित कुछ विधेयकों को लंबे समय बाद भी राजभवन की मंजूरी नहीं मिल पाई है। इसके लिए सरकार की ओर से प्रयासों को कामयाबी नहीं मिल पाई।
बीबीरानी मौर्य का राजनीतिक करियर
बेबी रानी मौर्य की राजनीति में एंट्री उस दौर में हुई थी, जब भाजपा इतनी ताकतवर पार्टी नहीं थी। उस दौरान साल 1995 में भाजपा ज्वाइन करने के बाद बेबी रानी मौर्य पार्टी के टिकट पर आगरा की मेयर बनी थी। साल 1997 में मौर्य भाजपा के राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा की कोषाध्यक्ष नियुक्त हुईं। बता दें कि उस समय रामनाथ कोविंद राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष थे। बेबी रानी मौर्य ने एत्मादपुर से भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन वे हार गई थीं।
मौर्य के नाम और कई उपलब्धियां हैं। अटल बिहारी की सरकार में साल 2002 में बेबी रानी मौर्य राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य बनीं। उन्हे कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं, जिसमें 1996 में सामाजिक कार्यों के लिए समाज रत्न, 1997 में उत्तर प्रदेश रत्न और 1998 नारी रत्न सम्मान शामिल है। 26 अगस्त साल 2018 में बेबी रानी मौर्य ने उत्तराखंड की राज्यपाल पद की शपथ ली थी।