हरिद्वार, जोशीमठ में लगातार मकानों और सड़कों में दरारे बनती जा रही है जिसके बाद से लोगों के दिलों में डर का माहौल बना हुआ है वहीं कहीं लोग अपना मकान छोड़कर कहीं और चले गए अब जोशीमठ के लोगों के सामने फिलहाल अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है. वो हर समय किसी अनहोनी और आपदा के ख़तरे को लेकर डरे हुए हैं और अपने घर-परिवार और शहर को बचाने की गुहार लगा रहे हैं. जोशीमठ की पहचान उत्तराखंड के एक मशहूर पर्यटक स्थल की है, लेकिन इस वक्त जोशीमठ में धंसती जमीन, दीवारों पर आई बड़ी दरारें और चल रहे प्रदर्शन की तस्वीरें देश भर में अपनी पहचान बना रही हैं
मिली जानकारी अनुसार जोशीमठ के सभी नौ वार्ड- परसारी, रविग्राम, सुनील, अपर बाजार, नृसिंह मंदिर, मनोहर बाग, सिंहधार, मारवाड़ी और गांधी नगर में किसी न किसी मकान में दरारें आ गई हैं. साथ ही दरारें लगातार चौड़ी हो रही हैं. मतलब जोशीमठ के 9 से ज्यादा इलाकों के 561 घरों में दरारें आ गई हैं. कई जगहों पर जमीन धंस गई है तो कई जगह दीवारों से अचानक पानी निकल रहा है. जमीन धंसने की इन घटनाओं से लोग डरे हुए हैं. कई ऐसे हैं जो घर छोड़ने को मजबूर
1976 में सर्वे टीम के साथ बातचीत करने वाली जोशीमठ निवासी शांति चौहान (66 वर्षीय) ने कहा, “मैं सिंहधार में किराए के मकान में रहती थी और मेरे पति आईटीबीपी में कार्यरत थे. जोशीमठ क्षेत्र में प्राकृतिक वन आवरण को बुरी तरह से नष्ट कर दिया गया. समिति ने तपोवन से सुनील तक के क्षेत्र का सर्वेक्षण किया और हमारे ‘कच्चे’ घर पर पहुंचने पर उन्होंने कहा कि ‘आपका शहर डूब जाएगा, क्योंकि इसकी जीवन रेखा सिर्फ 100 साल है.’ हम आग बबूला हो गए और उन्हें हमारे शहर को अपशब्द कहने पर गाली दी फटकार लगाई, लेकिन आज हमें पता चलता है कि वे सही थे. हमारे घर के चार कमरों में दरारें आ गई हैं.”
बता दें कि मिश्रा समिति में 18 सदस्य शामिल थे. मिश्रा ने टीम को 1976 में 10 से 15 मई के बीच जमीनी सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था जिसके बाद ऐसी घटना होने की चेतावनी दी गई थी.
जोशीमठ के 9 वार्डों में कुल 561 मकानों में दरारे आईं हैं. अब तक 34 परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है, जबकि 66 परिवार ऐसे हैं, जो वहां से पलायन कर चुके हैं.
हालांकि, सरकार ने हालात का जायजा लेते हुए ऐलान किया था कि जिनके घरों में दरारे आई हैं, उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा. प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है. प्रभावित लोग 8171748602 पर कॉल करके मदद ले सकते हैं.
जोशीमठ में आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा सनातन धर्म की रक्षा के लिए देश के चार कोनों में बनाईं 4 पीठों में से एक ज्योतिर्पीठ है. ये उत्तराखंड की प्राचीन राजधानी है, जहां से कत्यूरी वंश ने शुरू में अपनी सत्ता चलाई थी. यहीं से सर्वोच्च तीर्थ बद्रीनाथ की तीर्थ यात्रा की औपचारिकताएं पूरी होती हैं क्योंकि शंकराचार्य की गद्दी यहीं विराजमान रहती हैं.
फूलों की घाटी और नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व का बेस भी यही नगर है. हेमकुंड यात्रा भी यहीं से नियंत्रित होती है. नीती-माणा दर्रे और बाड़ाहोती पठार पर चीनी हरकतों पर इसी नगर से नजर रखी जाती है. चीनी सेना बाड़ाहोती की ओर से घुसपैठ करने का प्रयास करती रहती है. उस पर नजर रखने के लिए भारत तिब्बत पुलिस की बटालियन और उसका माउंटेंन ट्रेनिंग सेंटर यहीं है.