आज दिनांक 03/09/2020 को आम आदमी पार्टी द्वारा अपने पार्टी कार्यालय में प्रेस वार्ता की गई जिसमें पार्टी की जिला अध्यक्ष हेमा भण्डारी ने प्रदेश सरकार के 3 साल की प्रदेश के लिए बदहाल बताते हुए नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांग की उन्होंने बताया कि बड़े-बड़े नारों और वादों के साथ देवभूमि उत्तराखंड में सत्तासीन हुई बीजेपी सरकार ने उत्तराखंड को लूट का अड्डा बना दिया है. 20 साल के इस युवा प्रदेश को भ्रष्टाचार की चाशनी में लपेटा जा रहा है और इस सब में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आँखें मूंदे बैठे हैं. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की बात कहने वाली बीजेपी और उनके मुख्यमंत्री पर उन्हीं की पार्टी के विधायक बार-बार बोल रहे हैं कि आपके विभाग में भ्रष्टाचार हुआ है और वो सुनने-समझने को तैयार नहीं हैं. लोहाघाट के बीजेपी विधायक पूरन सिंह फर्त्याल मुख्यमंत्री के विभाग में भ्रष्टाचार के साथ साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पर ये भी आरोप लगा रहे हैं कि वे दोषियों को बचा रहे हैं.
एक माननीय विधायक के अपने ही सरकार को भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर कटघरे में खड़ा करना इस बात की और इंगित करता है कि भ्रष्टाचार सीएम रावत के कार्यकाल में फलफूल रहा है. जिस मुख्यमंत्री पर उनके अपने विधायक भरोसा नहीं जता पा रहे जनता कैसे ऐसे मुख्यमंत्री पर विश्वास कर सकती।
डीडीहाट से 6 बार के विधायक एवम पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुपाल दिल्ली में त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली में डेरा डाले बैठे है जिनके साथ 15 ओर विधायको का समर्थंन है जो अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ आन्दोलनरत है और त्रिवेंद्र सरकार नोकरशाही हावी होने एवम भरस्टाचार का आरोप लगा रहे है
इसलिए आम आदमी पार्टी मांग करती है कि उत्तराखंड में भ्रष्टाचारियों के खेवनहार बने मुख्यमंत्री को तुरंत नैतिकता के आधार पर खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए। उनके विधायक पिछले कई दिनों से इनसे शिकायत कर रहे लेकिन मुख्यमंत्री के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही,यही वजह है इनके 15 विधायक दिल्ली जाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात करते और साफ तौर पर कहते इस मुख्यमंत्री के नेतृत्व में वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्हीं के विधायक उनके भ्रष्टाचार की गाथा सुना रहे।
सिर्फ बीजेपी विधायक पूरन सिंह फर्त्याल ही सरकार के जीरो टॉलरेंस वाले दावे पर सवालिया निशान नहीं लगा रहे हैं बल्कि देवभूमि का हर नागरिक जिसे बीजेपी सरकार ने छला है; वो सवाल उठा रहा है.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से ना तो अपने विभाग ही संभल रहे हैं और ना ही प्रदेश. पीडब्लूडी तो भ्रष्टाचार का गढ़ बना दिया गया है और सीएम आंख मूंदे बैठे हैं. एक और विभाग जो मुख्यमंत्री के पास है, स्वास्थ्य विभाग. सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का क्या आलम है? ये किसी से नहीं छिपा है. एक बस उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हैं जिन्हें प्रदेश के बुरे हालात दिखाई नहीं देते क्योंकि वे तो नीरो की तरह बंसी बजानें में व्यस्त हैं.
उन्हें उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बने रहने का कोई हक नहीं रह गया है. ऐसे में आम आदमी पार्टी की उनसे दरख्वास्त भी है कि वो नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे।