जान हथेली पर रखकर काम को अंजाम दे रहीं संगिनी और आशा

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सहारनपुर। स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में आशा कार्यकतार्ओं की अहम भूमिका होती है। फिलवक्त, कोविड-19 संक्रमण काल में आशा कार्यकर्ता और आशा संगिनी जमीनी स्तर पर जान हथेली पर रखकर अपने काम को अंजाम दे रही हैं।

एक तरह से कोरोना वारियर की श्रेणी में आशा कार्यकर्ता भी हैं। मंजू त्यागी, रेशमा और बबली ऐसी कई आशा कार्यकर्ता हैं जो अपने आप में मिसाल हैं। इसकी वजह कर्तव्य के प्रति उनकी निष्ठा है। यह बताने की जरूरत नहीं कि आशा कार्यकर्ता, प्रवासियों के आगमन पर उनकी देखभाल की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रही हैं। ऐसे में उन्हें भी संक्रमण का खतरा रहता है। इससे बचाव के लिए आशा संगिनियों को हालांकि प्रशिक्षण मिला है। जिले की हर आशा को दो मास्क और दो जोड़ी ग्लब्ज बांटे गए हैं। इन दिनों आशा कार्यकर्ता घर-घर पहुंचकर लोगों को जागरूक कर रही हैं और पूरी लगन व ईमानदारी के साथ अपने कार्यों को अंजाम दे रही हैं। तेज धूप व वायरस के खतरों के बीच आशा कार्यकर्ता लोगों की सेवा कर रही हैं। एक ओर जहां आम आदमी घर से बाहर निकलने में भी कतराता हुआ नजर आ रहा है, वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) नानौता में कार्यरत आशा जान पर खेलते हुए अपने काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं। नानौता सीएचसी में कार्यरत कईं आशा कार्यकतार्ओं व आशा संगिनियों ने बातचीत में बताया कि सभी को समय पर वेतन मिल रहा है एवं मास्क, सैनीटाइजर, ग्लवस आदि सभी को उपलब्ध कराए गए हैं। बड़गांव क्षेत्र के गांव सिसौनी निवासी आशा रेशमा ने बताया कि वह सन् 2006 से सीएचसी नानौता में कार्यरत हैं। इन दिनों वह घर-घर पहुंचकर लोगों को स्वस्थ रहने के गुण बताती हैं और सोशल डिस्टेंस रखने सहित तमाम मुददों पर जानकारी देती हैं।

काम में ही सुकून मिलता है

गांव सिसौनी निवासी रेशमा में काम के प्रति लगन है, जज्वा है। रेशमा की दास्तां बड़ी दर्द भरी है। रेशमा के पति की बीते 2016 में अचानक मृत्यु हो गई थी। रेशमा अपने जवान बेटे को भी खो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि उनका 18 वर्षीय बेटा भायला में बाइक से पेपर देने के लिए जा रहा था, तभी एक अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी। उसकी 11 मार्च 2020 को मृत्यु हो गई। पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है। वह अब भी अपने दायित्वों का निर्वहन बहुत अच्छी तरह करती हैं। वह कहती हैं अब तो काम में ही सुकून मिलता है।

19 आशा कार्यकर्ताओं के साथ जुटीं हैं मंजू

कचराई गांव निवासी मंजू त्यागी ने बताया वह नानौता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 2008 से आशा के पद पर कार्य कर रही थीं और बीते 2015 से वह आशा संगिनी के तौर पर कार्य कर रही हैं। उनके निर्देशन में 19 आशा कार्यकर्ता काम करती हैं। मंजू ने बताया 19 आशाओं की टीम के साथ वह घर-घर जाकर लोगों को लगातार जागरूक कर रही हैं। शब्बीरपुर निवासी आशा बबली ने बताया कि वह समय-समय पर लोगों को जागरूक कर रही हैं, इसके लिए कईं बार उन्हें अपने घर का कामकाज भी छोड़ना पड़ता है। इसके बावजूद वह अपने काम को पूरा करके ही वापस घर आती हैं।

सहारनपुर से
रिपोर्ट। रमन गुप्ता

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