हरिद्वार,उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के ऑफिसर्स कॉलोनी में धर्मसभा आयोजित की गई. जिसमें शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज शामिल हुए. इस दौरान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने बाबा रामदेव को लेर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि धारा 370 पर दिए गए बयान के बाद स्वामी रामदेव ने कहा था कि वे शंकराचार्य नहीं है. 370 लागू करने का समर्थन कर रहे हैं और उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा होना चाहिए. शंकराचार्य ने कहा कि वे रामदेव को नोटिस देंगे.
चारधाम मंदिरों के कपाट बंद नहीं होते, केवल ग्रीष्मकाल स्थान बंद होता है। इस दौरान धामों में देवता पूजन करते हैं। इसके बाद शीतकालीन स्थान पर पूजा होती है। लोगों में भ्रांति है कि केवल छह महीने ही दर्शन होते हैं। ऐसा नहीं है। इस भ्रांति को तोड़ने के लिए 16 दिसंबर से शीतकालीन यात्रा शुरू होगी। इसमें इसका प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
सनातन धर्म से बहिष्कार किया जाना चाहिए। उन्होंने सिर्फ ये कहा था कि धारा 370 लगी रहती तो अच्छा था, क्योंकि उसमें गोहत्या पूरी तरह से प्रतिबंधित थी। वे स्वामी रामदेव को नोटिस देंगे। उन्होंने आरोप तो लगा दिए लेकिन सिद्ध नहीं कर सके। जो अपने सर्वोच्च धर्माचार्य के ऊपर ये कहे कि उसे हिंदू धर्म से बहिष्कृत करना चाहिए, तो उसे हिंदू धर्म में रहने का अधिकार है या नहीं, इस पर विचार होना चाहिए।
ये था पूरा मामला
12 नवंबर 2024 को ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय की ओर से एक पत्र जारी किया गया था. जिसमें ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर गोहत्या को दंडनीय अपराध बनाने वाले कानून को जम्मू कश्मीर में पुन: बहाल करने की भारत सरकार से अपील की गई थी. जिसमें कहा गया था कि ‘अनुच्छेद 370 की वापसी के कारण तत्समय प्रवृत्त रणबीर दंड संहिता वि.सं. 1989 (1932 ई. सन) भी निष्प्रभावी हो गई. जिसकी धारा 298 क में गोहत्या करने पर जुर्माने के साथ दस वर्ष तक की कारागार की सजा थी.’
इसके अलावा आगे कहा था कि ‘अब वहां पर रणबीर दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 लागू हो गई है. जिसमें रणबीर दंड संहिता की धारा 298 क जैसा गोवध को दंडनीय बनाने वाला कोई प्रावधान नहीं है.’ साथ ही आगे कहा गया था कि ‘इसके कारण गोमाता और हिंदू आस्था पर चोट पहुंचाने पर दंडित करने वाला विधान भी समाप्त हो गया है, जो कि किसी भी हिंदू को स्वीकार्य नहीं हो सकता.’