मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 35वां दिन है. केंद्र सरकार और किसान संगठनों की छठे दौर की बैठक विज्ञान भवन में हुई, अब अगली बैठक 4 जनवरी को होगी. किसानों ने केंद्र के साथ बातचीत का न्योता स्वीकार तो कर लिया है, पर उन्होंने यह साफ कर दिया है कि बातचीत का एजेंडा वही होना चाहिए, जो किसानों ने तय किया है.
किसान अपनी मांग पर कायम हैं और उनका कहना है कि केंद्र को नए कृषि कानूनों को वापस लेना होगा, जबकि सरकार कह चुकी है कि कानून वापस लेना मुमकिन नहीं है. मंगलवार को किसान संगठनों ने सरकार को ताजा पत्र लिखकर आज होने वाली वार्ता का न्योता स्वीकार करने की औपचारिक जानकारी दी. वहीं किसान संगठनों ने एक बार फिर कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की अपनी मांग दोहराई.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने हमारी दो मांगों को मान लिया है. आज की बातचीत अच्छी रही. अब चार जनवरी को अगली वार्ता होगी, तब तक शांतिपूर्ण ढंग से किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों ने चार प्रस्ताव रखे थे, जिसमें दो पर सहमति बन गई है. पर्यावरण संबंधी अध्यादेश पर रजामंदी हो गई है. एमएसपी पर कानून को लेकर चर्चा जारी है. हम एमएसपी पर लिखित आश्वसन देने के लिए तैयार हैं. एमएसपी जारी रहेगी. बिजली बिल को लेकर भी सहमति बन गई है. पराली के मुद्दे पर भी रजामंदी हो गई है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुद्दों पर किसान-सरकार के बीच 50 फीसदी सहमति बन गई है. किसानों के लिए सम्मान और संवेदना है. आशा है कि किसान और सरकार में सहमति बनेगी. समिति बनाने के लिए सरकार पहले दिन से तैयार है
आज की बैठक में पराली जलाने और बिजली से संबंधित मुद्दों को हल किया गया. हमारे 2 मुख्य मुद्दों को अभी भी हल करने की आवश्यकता है. हम 4 जनवरी को अगली बैठक में एमएसपी और 3 फार्म कानूनों को निरस्त करने से संबंधित विषयों पर चर्चा करेंगे