सहारनपुर,कान्हा गौशाला ने अपने नवाचारों में जोड़ी एक और उपलब्धि

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सहारनपुर। मां शाकुंभरी कान्हा उपवन गोशाला ने चाइनीज खिलौनों के विकल्प में गाय के शुद्ध गोबर से ‘बच्चों के खिलौने’ निर्मित किए है। इन खिलौनों को लोग डेकोरेशन में भी प्रयोग कर अपने घर की शोभा बढ़ा सकते है। ये खिलौने ऑनलाइन भी उपलब्ध रहेंगे।

नगर निगम द्वारा संचालित कान्हा उपवन गौशाला अपने नवाचारों के लिए देशभर में जानी जाती है। नवाचारों की इसी कड़ी में गौशाला में गाय के गोबर से ‘‘बच्चों के खिलौने’ निर्मित किये गए हैं। बहुत छोटे और रंग बिरंगे सुंदर आकार में निर्मित ये खिलौने बच्चों के खेलने के अलावा डेकोरेशन के लिए भी प्रयोग किये जा सकते हैं। गौशाला प्रभारी डॉ.संदीप मिश्रा ने बताया कि इन खिलौनों को मिट्टी के खिलौनों की विलुप्त हो रही संस्कृति का विकल्प भी माना जा सकता है। इसके अतिरिक्त इन खिलौनों की एक विशेष बात ये भी है कि ये बायोडिग्रेडेबल है। यानि टूटने या अनुपयोगी होने पर इन्हें बिना किसी प्रदूषण के गमलों में खाद के रुप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आईएसओ प्रमाणित कान्हा गौशाला प्रदेश की पहली गौशाला है जहां इस तरह के अनूठे गो-उत्पादों को निर्मित कर विक्रय किया जा रहा है। खिलौनों की कीमत 20 रुपया प्रति खिलौना रखी गयी है।
डॉ.मिश्रा ने बताया कि गौशाला में 25 से अधिक गो-उत्पाद निर्मित किए जा रहे हैं, जिनमें दूध, घी, छाछ के अलावा गोबर से प्राकृतिक पेंट, वर्मी कम्पोस्ट, दिए, गणेश लक्ष्मी व शिव की प्रतिमाएं, गाय-बछड़े की मूर्ति, ओम, स्वास्तिक, धूप बत्ती, हवन स्टिक, उपले, गो-काष्ठ, प्राकृतिक गुलाल, पंचगव्य साबुन, संभरानी कप, राखी, नेम प्लेट, तोरण द्वार, तिरंगा चेस्ट बैज, कमल का फूल तथा बायो गैस और गो मूत्र से गो अर्क व गोनाइल आदि सम्मिलित हैं। निगम की कान्हा गौशाला प्रदेश की ऐसी भी पहली गौशाला है जहां विलुप्त हो चुकी बैल गाड़ी संस्कृति को पुनः जीवित करते हुऐ बच्चों को गो-संवर्धित परिसर में घुमाने के लिए मॉडर्न बुलक कार्ट बनाई गई है। उन्होंने बताया कि गोबर व गोमूत्र से निर्मित उत्पादों के लिए नगर निगम की कान्हा उपवन गौशाला वर्ल्ड रिकॉर्ड व आईबीआर अचीवर अवार्ड से सम्मानित हो चुकी है।
रिपोर्ट। रमन गुप्ता

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