सहारनपुर। नगर की सांस्कृतिक संस्था विभावरी द्वारा स्वामी रामतीर्थ केंद्र में कवयित्री डॉ रश्मि शर्मा के काव्य संग्रह ‘अंतर्मन की व्यथा’ का लोकार्पण,समारोह वध्यक्ष डॉ एस के उपाध्याय ,मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ महेश शर्मा, मुख्य वक्ता डॉ राजकुमार उपाध्याय ‘राज’ रुड़की, विभावरी के संरक्षक सदस्य हरिराम ‘पथिक’, संस्था अध्यक्ष डॉ राम विनय शर्मा, आशु राठौर, अशोक आर्य (रुड़की) तथा सुशील शर्मा के कर कमलों से संपन्न हुआ। मंचासीन विभूतियों द्वारा दीप प्रज्वलन और कुमारी द्वारा सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। भारत भूषण हिंगोरानी ने आगंतुकों का स्वागत किया, डा शिवनारायण शर्मा ने विभावरी का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया, सीए प्रत्यूष जैन ने डॉ महेश शर्मा, पवन शर्मा ने कवयित्री डॉ रश्मि शर्मा और ने डॉ राजकुमार उपाध्याय का परिचय प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ रश्मि शर्मा को शाल, श्रीफल तथा अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। पद्मश्री डॉ महेश शर्मा को ‘राष्ट्र गौरव सम्मान’ तथा डॉ राजकुमार उपाध्याय ‘राज’ को ‘साहित्य सागर सम्मान’ से अलंकृत किया गया। डॉ राज ने कहा कि डॉ रश्मि शर्मा का काव्य संग्रह ‘अंतर्मन की व्यथा’ एक सहज और प्रतिक्रियात्मक अभिव्यक्ति है। इसमें आस्था का पुट भी दिखाई देता है और भारतीय मूल्य भी। इन कविताओं में कवयित्री ने अपने मन का आक्रोश व्यक्त किया है। पद्मश्री डॉ महेश शर्मा जी ने कहा कि। डॉ रश्मि शर्मा ने अपने कविता संग्रह ‘अंतर्मन की व्यथा’ में कुछ नए प्रश्न उठाए हैं। रामायण और महाभारत के चरित्रों ने पुरातन काल से ही भारत के जनमानस को बहुत गहराई से आकर्षित किया है और यह सिलसिला आज भी जारी है। साथ ही यह भी सत्य है कि इनसे जुड़े हुए कई प्रश्न भी जनमानस में लगातार घूमते रहे हैं। कर्ण और उर्मिला पर तो महाकाव्य भी आए हैं ।यराष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित रश्मिरथी और उसमें उठाए गए बिंदु सबका ध्यान आकर्षित करते रहे हैं । मेरा अध्ययन सीमित है, इस पुस्तक की यह विशेषता है कि हमारे पौराणिक चरित्रों को नए रूप में प्रस्तुत किया गया है। ऐसे प्रश्न पूछे गए हैं जो बहुत लोगों के मन में उठते हैं, लेकिन पूछे नहीं जाते । डॉ विजेंद्र पाल शर्मा ने बताया कि कवयित्री ने रामायण और महाभारत के 18 विशिष्ट पात्रों के मन की व्यथा को संवेदना के स्तर पर कविता रूप में प्रस्तुत किया है। इस अवसर पर श्रोताओं ने डॉ एस के उपाध्याय, डॉ राजकुमार ‘राज’, हरि राम ‘पथिक’, डॉ विजेंद्र पाल शर्मा ,पवन कुमार शर्मा (विकास नगर) और राजेंद्र शर्मा आदि की कविताओं का आनंद उठाया। डॉ राम विनय शर्मा ने कविता के महत्व पर प्रकाश डाला तो संयोजक सुशील शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया। मानसी के अध्यक्ष के के गर्ग द्वारा प्रस्तुत मानसी के अध्यक्ष के के गर्ग द्वारा प्रस्तुत बाँसुरी पर राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम में सतीश आर्य, रामवीर सिंह राहगीर, नरेंद्र मस्ताना, डॉक्टर सुमेधा नीरज, डॉक्टर दिनेश शर्मा, डॉक्टर साधना शर्मा, डा कुमार अनुपम, आदेश कुमार,पवन शर्मा, के के गर्ग, आदि उपस्थित रहे। रिपोर्ट। रमन गुप्ता













