सहारनपुर। सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोग) फेफड़ों की बीमारियों के समूह का नाम है। बीमारी के होने का प्रमुख कारण अत्यधिक धूम्रपान और दूसरा कारण लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण है। चिकित्सकों की मानें तो मरीज नियमित इलाज चलाकर और सावधानियां बरतकर बीमारी के दुष्प्रभावों को कम कर सकता है।
वरिष्ठ फिजीशियन डॉक्टर संजीव मिगलानी ने बताया कि सीओपीडी में मरीज की सांस की नली में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से उसे परेशानियां रहने लगती हैं। सीओपीडी बीमारी होने का मुख्य कारण धूम्रपान है। शोध में पता चला है कि एक मीडियम साइज की सिगरेट पीने से जीवन के दस मिनट कम होते हैं। हर सिगरेट में चार हजार हानिकारक तत्व होते हैं, जिनमें से 599 तत्वों की लत लग जाती है। इनमें निकोटिन, कार्बन मोनेआक्साइड, आर्सेनिक और कैडमियम प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि सीओपीडी की चार स्टेज होती हैं। पहली स्टेज में सुबह के समय खांसी आना और गले में खिच खिच रहती है। दूसरी स्टेज में दौड़ते समय सांस का फूलना और बलगम आने की शिकायत रहती है। तीसरी स्टेज में मरीज को कपड़े धुलते यहां तक कि नहाते हुए भी सांस फूलने की शिकायत होने लगती है, जबकि चौथी स्टेज में हाथों और पैरों में सूजन या फिर फेफड़े फेल हो जाते हैं। यदि किन्हीं कारणों से बीमारी हो भी गई है तो मरीज को अच्छे चिकित्सक से इलाज लेने के साथ ही सावधानियां बरतनी चाहिए।
बीमारी से बचाव को यह करें
-धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
-वायु प्रदूषण से बचने के लिए मुंह पर मास्क लगाकर निकलें।
-उपलों से निकलने वाले धुएं से बचना चाहिए।
-वेंडिंग से निकलने वाले धुएं से बचना चाहिए।
रिपोर्ट। रमन गुप्ता














