हरिद्वार,अहिल्याबाई होल्कर की 298 वी जयंती 31 मई को रावली महदूद ब्रह्मपुरी शिव मन्दिर से शुरू हुई वही पाल समाज के लोगो ने बैंड बाजे सुंदर झांकियां और नाच गानों के साथ धूमधाम से अहिल्याबाई होल्कर की जयंती मनाई
रावली महदूद के प्रधान प्रमोद पाल ने वार्ता करते हुए बताया कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर का जन्म महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के चौड़ी नामक गाँव में मनकोजी शिंदे के घर सन् 1725 ई. में हुआ था.साधारण शिक्षित अहिल्याबाई 10 वर्ष की अल्पायु में ही मालवा में इतिहासकार ई. मार्सडेन के अनुसार होल्कर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खण्डेराव के साथ परिणय सूत्र में बंध गई थीं.29 वर्ष की आयु मे उनके पति का देहांत हो गया था वही अपनी वाणी को विराम देते हुए प्रमोद पाल कहा कि जीवन में परेशानियाँ कितनी भी हो, उनसे कैसे निपटना है यह हमें अहिल्या बाई के जीवन से सीखना चाहिए. अपने जीवन काल में अहिल्या बाई होल्कर ने बहुत परेशानियों का सामना किया है लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी, यही वजह है की भारत सरकार ने भी उनको सम्मानित किया, उनके नाम डाक टिकेट भी जारी हुआ और आज अहिल्या बाई के नाम से अवार्ड भी दिया जाता है.
बीडीसी सदस्य देवेंद्र पाल ने कहा कि लोक माता देवी अहिल्या बाई होल्कर ने समाज को जागृत करते हुए शिक्षा और दीक्षा के लिए आगे बढ़ाने का काम किया हम सब को मिलकर लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर के विचार और सिद्धांतों को जन जन तक पहुंचाने का काम करना है। इसके लिए प्रचार प्रसार जोरदार तरीके से करें। देवी अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिरों के लिए अंधाधुंध पैसा दान करती रही, लेकिन सत्य यही है की उन्होंने अपने धर्म को अपने मान-सम्मान और राज्य से बड़ा समझा और अपने धर्म के विकास के लिए उन्होंने अपना अहम योगदान दिया इस दौरान कमेटी के सदस्य के नाम.देवेन्द्र पाल, विशाल पाल, तरुन पाल, वीरेन्द्र पाल, कंवर पाल, दीपक पाल, जोगेंद्र पाल, विनय पाल, अश्वनी पाल, निशु पाल, सन्नी प्रधान, रवि पाल, तेलूराम प्रधान, उमेश धनगर, मनोज धनगर, सुधीर पाल, कमल पाल, आदि