हरिद्वार,भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को हरिद्वार में पतंजलि विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं, एयरपोर्ट पर सीएम धामी और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने राष्ट्रपति का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। इसके बाद वह हरिद्वार के लिए रवाना हुईं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हरिद्वार स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। उन्होंने समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होकर छात्र-छात्राओं को डिग्री और मेडल दिए। इस दौरान सीएम और राज्यपाल भी मौजूद रहे। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की महान विभूतियों ने मानव संस्कृति के विकास में अमूल्य योगदान दिया है। ऋषियों में महानतम महर्षि पतंजलि ने योग के माध्यम से मन की, व्याकरण के माध्यम से वाणी की और आयुर्वेद के माध्यम से शरीर की अशुद्धियों को दूर किया। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पतंजलि विश्वविद्यालय महर्षि पतंजलि की महान परंपरा को समाज के लिए सुलभ बना रहा है।
पतंजलि ने योग आयुर्वेद और आध्यात्म से शरीर की विशुद्धियों को दूर करने का काम किया है। महर्षि पतंजलि को मैं प्रणाम करती हूं। महर्षि परंपरा को आज के समाज में बढ़ाया जा रहा है। इस विश्व विद्यालय में शिक्षा और सौंदर्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। यहां के योग आयुर्वेद को बहुत दिनों से जानती हूं। इसका लाभ मुझे मिला भी है। विश्व बंधुत्व की भावना और नूतन ज्ञान का समन्वय व वैश्विक चुनौतियों को स्वीकार्य कर आगे बढ़ रहा है। बसुधैव कुटुंबकम के भाव से इस मनोरम स्थान पर शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिल रहा है। मुझे विश्वास है कि जलवायु परिवर्तन के साथ अन्य चुनौतियों का सामना करने में आप सभी तत्पर रहेंगे। सर्व मंगल की एक कामना हमारी संस्कृति की एक पहचान है।मुझे विश्वास है विद्यार्थी सदाचार की शिक्षा को प्रसारित करने में पूर्ण सहयोग रहेगा। विज्ञान और आध्यात्म के समन्वय से आदर्श जीवन निर्माण में सहायक होगा। श्रीमद्भागवत गीता के एक अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने भी निष्ठा पूर्वक कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा दी है। तपस्या और सरलता जीवन को शक्ति देने वाले मूल्य अपनाकर आप सभी अपने जीवन को सार्थक बनाएंगे। कठिन तपस्या के द्वारा मां गंगा को धरती पर लाने वाले भागीरथी का अनुसरण कर आप सभी भगीरथ प्रयास करेंगे। इस विश्वविद्यालय ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का मार्ग अपनाया है। मुझे विश्वास है इस विद्यालय के छात्र महत्वपूर्ण योगदान देंगे। आज भारत पूरे विश्व को योग दिवस ही मना रहा है बल्कि इससे पूरे विश्व को स्वास्थ्य का मार्ग दे रहा है। अब पूरे विश्व में यही छात्र-छात्राएं योग प्राणायाम और आध्यात्म को प्रसारित कर विश्व गुरु बनाएंगे। अपने पुरातन भारत का नाम लोग अब जल्द ही सादर से लेंगे। सभी के स्वर्णिम भविष्य की मंगल कामना करती हूं।
पतंजलि विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि दीक्षांत समारोह में 54 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक, 62 शोधार्थियों को पीएचडी, तीन को डीलिट की उपाधि प्रदान की गई। इसके अलावा 744 स्नातक और 615 परास्नातक विद्यार्थियों सहित कुल 1424 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गई














