हरिद्वार,हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर क्षेत्र में रविवार को भगदड़ मचने से छह श्रद्धालुओं की मौत हो गयी थी और 35 अन्य घायल हो गए। जिसके बाद आज प्रदेश सरकार प्रमुख धार्मिक स्थलों में भीड़ प्रबंधन के लिए सर्वे कराएगी। इसमें कैंचीधाम, चंडी देवी, नीलकंठ व पूर्णागिरि मंदिर शामिल है। इसके अलावा मंदिरों में सुरक्षा व अन्य व्यवस्थाओं के लिए गढ़वाल व कुमाऊं मंडलायुक्तों को नोडल अधिकारी नामित किया गया। बैठक में मंदिरों की सुरक्षा को लेकर बड़ा निर्णय लिया गया. सरकार ने तय किया है कि अब सबसे पहले मंदिरों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा. मंदिर के आसपास या फिर पैदल मार्ग पर जो भी अवैध दुकानों लगाई गई हैं, उनको हटाया जाएगा. इसके अलावा एक्सपर्ट की मदद से मंदिरों की सुरक्षा-व्यवस्था का एक प्लान भी तैयार किया जाएगा.
मंगलवार को सचिवालय में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने कहा, महत्वपूर्ण पर्व व दिवसों पर प्रमुख मंदिरों में भीड़ बढ़ने के कारण भगदड़ की आंशका बनी रहती है।ऐसे मंदिरों को चिन्हित कर उनमें अंशकालिक व दीर्घकालिक व्यवस्थाएं बनाई जाए। धार्मिक स्थलों के सार्वजनिक स्थलों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए लगातार अभियान चलाया जाए। इसके अलावा जहां पर तंग रास्ते या मार्ग हैं, उन्हें चौड़ा किया जाए। धार्मिक स्थलों में भीड़ प्रबंधन के लिए तकनीक का प्रयोग भी किया जाए। मंदिरों में अत्यधिक भीड़ होने पर मार्गों में श्रद्धालुओं को रोके के लिए स्थान बनाए जाएं।
मुख्य सचिव ने कहा, प्रत्येक धार्मिक स्थल के लिए रूट और सर्कुलेशन प्लान तैयार किया जाए। उन्होंने श्रद्धालुओं की संख्या का आंकलन करने के लिए तकनीक का उपयोग करते हुए भीड़ प्रबंधन प्रणाली तैयार करने निर्देश दिए हैं। पहले चरण में मनसा देवी, चंडी देवी, नीलकंठ, कैंचीधाम व पूर्णागिरि मंदिर में विशेषज्ञों के माध्यम से भीड़ प्रबंधन का सर्वे कराया जाएगा।विशेषज्ञों की टीम मंदिर क्षेत्र का विश्लेषण कर भीड़ प्रबंधन, निकासी योजना और बॉटल नेक एरिया के लिए सिविल इंजीनियरिंग और तकनीकी पहलुओं का परीक्षण करने के बाद कार्ययोजना व एसओपी तैयार करेगी। बैठक में पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, धीराज सिंह गर्ब्याल, आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप मौजूद रहे।