हरिद्वार, जूना और अग्नि अखाड़े की पेशवाई, किन्नर अखाड़ा भी रहा साथ

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हरिद्वार, आज गुरुवार को सुबह से ही पेशवाई के लिए सारी तैयारी शुरू हो गयी थी जिसमे जूना और अग्नि अखाड़े की पेशवाई, के साथ किन्नर अखाड़ा भी रहा शामिल रहा है संत समाज की आस्था के साथ वैभव का समागम भी दिखाई दिया। साधु संतों का लाव-लश्कर शाही अंदाज में हाथी घोड़ों, ऊंट, बग्घियों और आदिकालीन संस्कृति से सुसज्जित रथों पर सवार होकर निकला। हर-हर महादेव के जयघोष के बीच फूलमाला से लदे अचार्य महामंडलेश्वरों, महामंडलेश्वरों, किन्नरों और नागा साधुओं के दर्शनों को सड़कों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। पेशवाई की पूर्व वेला में आज जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज ने कलियुग की अधिष्ठात्री देवी – ‘माँ मायादेवी’ के सारस्वत परिसर में सनातन वैदिक धर्म संस्कृति एवं उसके शाश्वत जीवन मूल्यों की अभिरक्षा के लिए नूतन महामंडलेश्वरों श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा में नियुक्त कर उनका पट्टाभिषेक किया।

कांगड़ी स्थित प्रेमगिरि आश्रम में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंच अग्नि अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा के रमता पंचों और नागा साधुओं ने इष्टदेव दत्तात्रेय भगवान की विधिवत रूप से पूजा अर्चना की। शाम को खिचड़ी भोज के बाद बैंड बाजों के साथ श्रीमहंत रमता पंच भल्ला गिरि, श्रीमहंत आनंदपुरी, श्रीमहंत रमणगिरि, श्रीमहंत सुरेशानंद सरस्वती, अष्ट कौशल श्रीमहंत भारद्वाज गिरि, श्रीमहंत शरद भारती, श्रीमहंत चेतनगिरि और श्रीमहंत महेंद्रपुरी की अगुवाई में संतों की जमात अस्थायी छावनी की ओर रवाना हुए।

20 फीट की ध्वज पताका, हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्घी, बैंडबाजों के साथ तीनों अखाड़ों की पेशवाई बृहस्पतिवार शाम करीब चार बजे ज्वालापुर के पांडेयवाला स्थित अस्थायी छावनी से शुरू हुई। पेशवाई का नेतृत्व श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा ने किया। इसके बाद श्री पंच अग्नि अखाड़ा और फिर किन्नर अखाड़ा की शोभायात्रा निकली। चार संत भगवान दत्तात्रेय की चांदी की पालकी को कंधे पर रखकर पेशवाई के सबसे आगे चले।

शोभायात्रा का पांडेवाला ज्वालापुर में भव्य स्वागत हुआ। लोगों ने छतों से फूल बरसाए। यात्रा नील खुदाना, कोतवाली ज्वालापुर, जामा मसजिद बाजार, रेल चौकी, आर्या नगर चौक से होकर चंद्राचार्य चौक पहुंची। यहां से वाल्मीकि चौक, माया देवी प्रांगण होकर ललतारौ पुल स्थित छावनी पहुंची। सभी जगहों पर दर्शकों ने शोभायात्रा का भव्य स्वागत किया। यात्रा को देखने के लिए सड़क के दोनों ओर हाथ जोड़े श्रद्धालुओं ने स्वागत किया।

पेशवाई में निरंजनी अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरि गिरि, अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज, राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंतमोहन भारती, श्रीमंहत महेशपुरी, श्रीमहंत शैलेंद्र गिरि, श्रीमहंत गणपतगिरि, उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती, श्रीमहंत नारायणगिरि, थानापति नीलकंठ गिरि, सर्पूणानंद ब्रह्मचारी आदि शामिल थे।

वही पेशवाई के दौरान जगह जगह पुलिस बल देखने को मिला
भीड़भाड़ और संवेदनशील स्थानों पर उत्तर प्रदेश की पीएसी की कंपनियां तैनात रही। रथ के आगे उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर लोक कलाकार छोलिया नृत्य कर रहे थे। रथों पर भी गढ़वाल और कुमाऊं के लोक कलाकार नृत्य करते चल रहे थे। जूना अखाड़ा की पेशवाई में उत्तराखंड की लोक संस्कृति की निराली छटा दिखी। पेशवाई में पहली बार पाल वंश राजा और शिक्षाविद् स्वामी वीरेंद्रानंद महामंडलेश्वर के रूप में शामिल हुए

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