हरियाणा मे भाजपा की जीत कांग्रेस की हार

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हरिद्वार, हरियाणा में बीजेपी की जीत के बाद कांग्रेस चुनावों के दौरान सारी झोंकी हुई ताकत धरी की धरी रह गई वहीं कुछ देर पहले तक कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के चेहरे पर खुशी की लहर देखने को मिल रही थी कि अचानक उनके सभी चेहरों पर निराशा देखने को मिली भाजपा ने जीत हासिल करने के बाद सभी के मंसूबों पर पानी फेर दिया और जीत हासिल कर ली एग्जिट पोल्स से लेकर सियासी बयानों तक यही संकेत मिल रहे थे कि भाजपा इस बार मुकाबले में कमजोर है। कांग्रेस में यह मंथन भी होने लगा था कि 65 से ज्यादा सीटें आती हैं तो कमान किसे सौंपी जाएगी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला, तीनों नेता सीएम पद पर अपनी दावेदारी को लेकर ताल ठोंक रहे थे। युवाओं में बेराजगारी और किसानों-पहलवानों की नाराजगी जैसे मुद्दे को कांग्रेस जोरशोर से उठा रही थी। इस सबके बावजूद भाजपा कांग्रेस की बगल से जीत को निकालकर ले गई। यह कुछ ऐसा ही है, जैसे कुश्ती में ‘बगलडूब’ दांव होता है, जब एक पहलवान सामने वाले पहलवान की बगल और पकड़ से बाहर निकलकर उसे परास्त कर देता है।

लाडवा से 16,054 वोटों से जीते सीएम नायब सिंह सैनी हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लाडवा विधानसभा सीट से 16,054 वोटों से जीते। सैनी ने कांग्रेस के मेवा सिंह को 54 हजार से ज्यादा मतों से मात दी है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि मैं हरियाणा के लोगों का धन्यवाद करता हूं और मैं इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को देता हूं। उनके आशीर्वाद से और उनकी नीतियों पर हरियाणा के लोगों ने मुहर लगाई है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक जीत हुई है।

लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के लिए हरियाणा का चुनाव लिटमस टेस्ट था. इस टेस्ट में बीजेपी को जोरदार कामयाबी मिली है, अब आगे महाराष्ट्र, और झारखंड में चुनाव होने वाले हैं. जहां हरियाणा चुनाव का साफ मैसेज जाएगा कि किसान और जवान बीजेपी के साथ हैं. अगर हरियाणा में तीसरी बार सरकार बीजेपी की बन रही है तो ये अपने आप में इतिहास है. साथ ही ये साफ हो रहा है कि किसान, जवान और पहलवान का मुद्दा जमीन पर नहीं है. ये बीजेपी के लिए बड़ी राहत भी है.

इस बीच अब अब कांग्रेस से अंदर ही विरोध के सुर उठने लगे हैं, कुमारी सैलजा का कहना है कि इतना कुछ के बाद भी अगर बीजेपी हरियाणा में जीत रही है तो फिर हमें ये देखना होगा कि उनकी चुनावी रणनीति कैसी थी, उनके मुद्दे क्या थे, और हमने जो मुद्दे उठाए वो कैसे थे

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