उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार 11 जून को दिल्ली में ‘270 मिनट’ की ‘सियासी मैराथन’ दौड़े. इन्हीं ‘270 मिनट’ ने तय कर दिया कि मिशन 2022 में उनसे उत्तर प्रदेश की ‘कप्तानी’ कोई नहीं छीन सकता. ऐसे में 11 जून को योगी ने दिल्ली में BJP के कद्दावर नेताओं से बैठके की थी. उन्होने टोटल 270 मिनट तक सबसे मुलाकात की अब ये ही 270 मिनट राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गए है.5 जून को सीएम योगी का जन्मदिन था। देश-दुनिया के तमाम लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भी बधाई आ गई, लेकिन पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने ट्वीट नहीं किया। राजनीतिक अटकलबाजी तेज हो गई। मीडिया और सोशल मीडिया दोनों पर शुभकामना न देने को लेकर खूब कयास लगने लगे। इन्हीं अटकलों के बीच जब अचानक योगी का दो दिवसीय दिल्ली दौरा तय हुआ तो उसे जबर्दस्त मीडिया कवरेज मिलना स्वाभाविक था। औपचारिक तौर पर इन मुलाकातों को भले ही शिष्टाचार भेंट करार दिया गया, लेकिन यह तो सब जानते हैं कि यह दौरा शिष्टाचार से कहीं ज्यादा था। सीएम योगी जब पीएम आवास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे तो तमाम सवाल देश के रणनीतिकारों के जेहन में उठने लगे। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच 80 मिनट की इस बातचीत का कोई भी ब्यौरा तो सामने नहीं आया, पर देश के प्रधानमंत्री और देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री के बीच ये लंबी बातचीत भाजपा और देश की राजनीति दोनों के लिहाज से बहुत अहम है। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान भी उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा हुई। साथ ही, मंत्रिमंडल विस्तार पर भी मंथन हुआ। गौर करने वाली बात यह है कि पीएम मोदी किसी भी मुख्यमंत्री से इतने लंबे वक्त तक मुलाकात नहीं करते। ऐसे में बैठक की अवधि को देखते हुए माना जा रहा है कि योगी और अधिक मजबूत होकर यूपी लौटे हैं। पहले शाह से चर्चा और फिर मोदी से मंथन के बाद जब योगी नड्डा के आवास पर पहुंचे तो भी तमाम सवाल उठने लगे। दरअसल, संगठन के हिसाब से नड्डा सर्वोच्च पद पर हैं। ऐसे में सूत्रों का दावा है कि सीएम योगी ने शाह व मोदी से मार्गदर्शन लिया और उस पर अंतिम मुहर नड्डा से लगवा ली। यही वजह है कि नड्डा और योगी की मुलाकात सबसे लंबी रही। सूत्रों का दावा है कि इस मीटिंग में यह तय हो गया कि उत्तर प्रदेश में न तो सरकार में और न ही संगठन के नेतृत्व में किसी भी तरह का परिवर्तन किया जाएगा। हालांकि, योगी से सहयोगी दलों को भी महत्व देने की बात कहे जाने की जानकारी जरूर सामने आ रही है।