उत्तराखंड विधानसभा ने संसदीय सुधार की प्रक्रिया में एक बड़ा कदम उठाया है। इस कड़ी में विधानसभा की संपूर्ण कार्यवाही अब डिजिटल रूप में होगी। इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने मंगलवार को बजट सत्र शुरू होने से पहले ई-विधानसभा एप्लीकेशन (नेवा) की शुरुआत की।
उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) के अभिभाषण से हुई, लेकिन कांग्रेस विधायकों ने इसे लेकर जमकर विरोध किया. कांग्रेस के तमाम विधायकों ने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान नारेबाजी की और सत्र की अवधि को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराया.
विपक्षी विधायकों ने सत्र की अवधि मात्र तीन दिन रखने को अनुचित बताया. कांग्रेस विधायकों का कहना था कि इतने कम समय में जनता के सवालों पर समुचित चर्चा संभव नहीं है कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने विपक्ष के विरोध पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में एजेंडा तय किया जाता है, तब विपक्ष के नेता चुप क्यों रहते हैं? अब मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं, जो निराधार हैं.
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रदेश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नए युग की शुरुआत हुई है और यह डिजिटल बदलाव प्रदेश के लिए मील का पत्थर साबित होगा। विधानसभा में ई-विधानसभा एप्लीकेशन की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा को डिजिटल बनाने की दिशा में यह पहल न केवल संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगी।
उन्होंने कहा कि अब विधानसभा की संपूर्ण कार्यवाही पूरी तरह से कागज रहित रहेगी। इससे न केवल कागज की खपत कम होगी, बल्कि संसदीय कार्य को पारदर्शी और प्रभावी तरीके से अंजाम दिया जा सकेगा। इसके तहत विधानसभा सदस्य अब अपने प्रश्न, प्रस्ताव, नोटिस और दस्तावेज डिजिटल रूप से प्रस्तुत कर सकेंगे।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के दिशानिर्देश पर विधायकों को टैबलेट चलाने में सहयोग के लिए आईटीडीए के दो अधिकारियों को तैनात किया गया था। कई विधायकों को लॉग इन आईडी व पासवर्ड भी पता नहीं था। इस पर अधिकारियों ने विधायकों को टैबलेट चलाने में सहयोग किया। लेकिन लॉग इन से आगे नहीं बढ़ पाए। सदन में वितरित की गई हार्ड कॉपी से विधायकों ने अभिभाषण को पढ़ने में ज्यादा रुचि दिखाई।विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बताया कि ई-विधानसभा की अभी शुरूआत है। जिससे पूर्ण रूप से सत्र को पेपरलैस करना संभव नहीं है। विधायकों को ई-विधान एप्लीकेशन की जानकारी देने के लिए विधानसभा परिसर में सुबह एक घंटे का प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। शुरूआत में टैबलेट पर एजेड़ा, प्रश्न उपलब्ध कराई जा रही है। डिजिटल प्रक्रिया से संसदीय प्रणाली में सुधार होने के साथ पारदर्शिता भी आएगी।
उन्होंने बताया कि सभी विधायकों की टेबल पर टैबलेट लगाए गए हैं और सभी दस्तावेज डिजिटल रूप से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम उत्तराखंड को एक स्मार्ट और तकनीकी दृष्टि से सक्षम राज्य के रूप में स्थापित करेगा। इस अवसर पर संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, डा धन सिंह रावत, रेखा आर्या व सौरभ बहुगुणा भी उपस्थित थे।