उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में, आदि कैलाश और कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर बुंदी और गर्ब्यांग के बीच 5.4 किलोमीटर लंबी एक सुरंग (टनल) बनाई जाएगी

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हरिद्वार,आदि कैलास और कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर छियालेख में हो रही घटनाओं को रोकने के लिए बीआरओ टनल बनाएगा। केंद्रीय सड़क और परिवहन राज्यमंत्री अजय टम्टा ने बैठक कर बीआरओ के अधिकारियों को टनल निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए। टनल बनने से सड़क मार्ग से करीब 22 किमी दूरी कम हो जाएगी। स्थानीय लोगों के साथ ही आदि कैलास और कैलास मानसरोवर यात्रियों को इसका फायदा मिलेगा। पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय में आयोजित बैठक में केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा ने राष्ट्रीय राजमार्ग, बीआरओ, पीएमजीएसवाई, लोक निर्माण विभाग, संचार कंपनियों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने सीमांत क्षेत्रों में सड़क और संचार सेवाओं को सुदृढ़ करने पर जोर दिया।

टम्टा ने बीआरओ के अधिकारियों से टनल निर्माण को लेकर चल रही कवायद की जानकारी ली। उधर, पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय राज्यमंत्री टम्टा ने कहा कि धारचूला से आगे उच्च हिमालयी क्षेत्र छियालेख में खड़ी चढ़ाई होने से भारी वाहनों की आवाजाही में मुश्किल आती है। इस स्थान में कई घटनाएं भी हो चुकी हैं। इसे देखते हुए यहां टनल बनाने का निर्णय लिया गया है। टम्टा ने बताया कि प्रस्तावित टनल की लंबाई 5.4 किलोमीटर रहेगी।

घाट बैंड से पंचेश्वर तक सड़क निर्माण की कवायद

पिथौरागढ़ के घाट बैंड से पंचेश्वर क्षेत्र को सड़क से जोड़ने की कवायद भी शुरू हो गई है। टम्टा ने विभागीय अधिकारियों को आगणन भेजने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मुनस्यारी-मिलम सड़क मार्ग पर कार्य तेजी से करने, ऐंचोली से हनुमान मंदिर तक मार्ग पर गड्ढे भरने के निर्देश दिए।

केंद्रीय राज्यमंत्री टम्टा ने कहा कि पिथौरागढ़-देहरादून के बीच बंद चल रही विमान सेवा शीघ्र सुचारू होगी। बताया कि इसके लिए कंपनी से बातचीत चल रही है। कहा कि शीघ्र ही सीमांत के लोग इस रूट पर भी हवाई सेवा का लाभ उठा सकेंगे।सुरंग बनने से गर्ब्यांग, गुंजी, नाबी और कुटी जैसे छह दूरस्थ गांवों के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। अब उन्हें बाजार, स्कूल और अस्पताल तक पहुंचने में आसानी होगी। इसके साथ ही आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ेगी। इससे सीमांत इलाकों में धार्मिक पर्यटन और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। भूमि अधिग्रहण के लिए 137 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से लगभग 60 प्रतिशत राशि प्रभावित परिवारों को दी जा चुकी है।

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