बिहार में फिर से ‘नीतीशे सरकार NDA ने 125 सीटें जीत बहुमत हासिल किया

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बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बनने जा रही है. बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों के प्राप्त परिणामों में एनडीए ने बहुमत के जादुए आंकड़े के पार कर लिया है. प्रदेश में सत्ताधारी एनडीए ने 125 सीटों पर जीत हासिल कर ली है. हालांकि विपक्षी दलों का महागठबंधन भले ही चुनाव में बहुमत हासिल नहीं कर सका है, मगर उसने 110 सीटें जीतकर एनडीए को चुनावी मुकाबले में कड़ी टक्कर दी है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, बिहार के गांव-गरीब, किसान-श्रमिक, व्यापारी-दुकानदार, हर वर्ग ने NDA के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मूल मंत्र पर भरोसा जताया है. मैं बिहार के हर नागरिक को फिर आश्वस्त करता हूं कि हर व्यक्ति, हर क्षेत्र के संतुलित विकास के लिए हम पूरे समर्पण से निरंतर काम करते रहेंगे.

उन्होंने कहा, बिहार ने दुनिया को लोकतंत्र का पहला पाठ पढ़ाया है.आज बिहार ने दुनिया को फिर बताया है कि लोकतंत्र को मजबूत कैसे किया जाता है. रिकॉर्ड संख्या में बिहार के गरीब, वंचित और महिलाओं ने वोट भी किया और आज विकास के लिए अपना निर्णायक फैसला भी सुनाया है

पिछली बार की तरह इस बार भी आरजेडी ने बेहतर प्रदर्शन किया है। 2015 बिहार विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो इस बार भी आरजेडी का वोट शेयर पिछली बार से अधिक है। 23.1 प्रतिशत वोट शेयर के साथ आरजेडी सबसे आगे है। वहीं भाजपा का वोट शेयर पिछली बार के मुकाबले कम है। 19.4 वोट शेयर के साथ वह दूसरे पायदान पर है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि आरजेडी को इस बार पिछली बार के मुकाबले अधिक वोट तो मिले पर यह सीट में त

70 सीटों पर खड़ी कांग्रेस ने सबसे खराब प्रदर्शन किया है। उसका वोट शेयर तो बढ़ा पर वह सिर्फ 19 सीटें ही हासिल कर सकी। ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस की वजह से महागठबंधन को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। तेजस्वी यादव ने अपने स्तर पर इस चुनाव को जीतने के लिए भरपूर प्रयास किया। मगर कांग्रेस की विफलता के कारण वे कई सीटों पर बहुमत पाने में नाकाम रहे हैं।

महागठबंधन में सिर्फ आरजेडी छाई रही

महागठबंधन में देखा जाए तो आरजेडी के अलावा किसी भी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन नहीं किया। 2015 में जदयू के साथ मिलकर लड़े चुनाव में आरजेडी ने 81 सीटे हासिल की थीं। इस बार भी पार्टी 75 सीटें पाकर सबसे पहले पायदान पर रही। मगर उसका साथ किसी सहयोगी पार्टी ने नहीं दिया। महांगठबंधन में कांग्रेस 19, सीपीआई 2, सीपीआईएम 2, सीपीआईएमएल 12 सीटों पर ही सिमट गई। 2015 के मुकाबले इस चुनाव में जदयू को 27 सीटों का नुकसान हुआ है। पिछली बार उसे 70 सीटें हासिल हुईं थी। वह उस समय दूसरे पायदान पर रही थी। इस बार उसे 43 सीटों से संतुष्ट रहना पड़ा है। हालांकि वोट शेयर के मामले में उसे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। इस बार उसका वोट शेयर 15.8 प्रतिशत तक रहा। वहीं पिछली बार ये 16.8 प्रतिशत था। भाजपा के प्रदर्शन को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि एनडीए में वह अब बड़े भाई की भूमिका निभाएगा। ऐसे में नीतीश के लिए सरकार चलाने ही राह कठिन हो सकती है।

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