भजन गायक नेरन्द्र चंचल का 80 वर्ष मे निधन

0
58

हरिद्वार, भजन गायक नरेंद्र चंचल का निधन हो गया है. नरेंद्र चंचल लंबे समय से बीमार चल रहे थे और आज दोपहर को उनका निधन हो गया है. नरेंद्र चंचल जागरण में माता की भेंटें गाते थे और वह बॉलीवुड में भी अपनी गायकी से फैन्स का दिल जीत चुके थे. 1980-90 के दशक में वह माता के जागरण की शान हुआ करते थे, और उनकी आवाज और गायकी भक्तों और लोगों को अपने में आत्मसात कर लेती थी. नरेंद्र चंचल जिस जागरण में वह चले जाते थे, वहां लोगों का हुजूम टूट पड़ता था.

मिली जानकारी के अनुसार चंचल का जन्म अमृतसर में एक धार्मिक पंजाबी परिवार में 16 अक्तूबर 1940 को हुआ था। उनके घर में धार्मिक माहौल था और उनकी मां भजन और आरती गाया करतीं थीं। चंचल प्रकृति के नरेंद्र ने अपनी मां से गाना सीखा और माता के भक्ति संगीत को अपार लोकप्रियता प्रदान की। गुलशन कुमार की कंपनी टी सीरिज से उनका करीबी नाता रहा। उन्होंने 1973 में बालीवुड फिल्म पुलिसमैन के लिए पहला गीत गाया। लेकिन 1980 में आई फिल्म ‘आशा’ के ‘तूने मुझे बुलाया’ तथा 1983 में ‘अवतार’ के ‘चलो बुलावा आया है’ गीतों ने धूम मचा दी। उन्होंने आधा दर्जन से अधिक फिल्मों के कई गीतों को अपनी आवाज दी। इसके अलावा उन्होंने 1400 से अधिक गीतों, भजनों की 270 से ज्यादा एल्बमों को सुरों से सजाया। उन्हें अमेरिका के जॉर्जिया प्रांत की मानद नागरिकता भी प्रदान की गई थी।

नरेंद्र चंचल के निधन की खबर सामने आने के बाद बॉलीवुड और उनके फैंस शोक में हैं। नरेंद्र चंचल वह नाम, जिन्होंने माता के जगराते को अलग दिशा दी।

उन्होंने न सिर्फ शास्त्रीय संगीत में अपना नाम बनाया बल्कि लोक संगीत में भी लोगों की दिल जीत लिया। हालांकि भजन गायकी में उन्हें सम्राट का दर्जा लोगों ने दिया।

मां से मिली भजन गायकी की प्रेरणा
आपको बता दें कि नरेंद्र चंचल ने बचपन से ही अपनी मां कैलाशवती को मातारानी के भजन गाते हुए सुना। मां के भजनों को सुन-सुनकर उन्हें भी संगीत में रुची होने लगी। भजन गायकी की प्रेरणा भी नरेंद्र ने अपनी मां से ली।

नरेंद्र चंचल की पहली गुरु उनकी मां थीं , इसके बाद चंचल ने प्रेम त्रिखा से संगीत सीखा, फिर वह भजन गाने लगे थे।

राजकपूर ने बॉबी में दिया चांस
चंचल की बॉलीवुड में एंट्री के पीछे शोमैन राज कपूर का बड़ा हाथ रहा। उन्होंने अपनी फिल्म बॉबी में नरेंद्र चंचल को बड़ा ब्रेक दिया। इस फिल्म में नरेंद्र ‘बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो’ गीत गाया था। इस गीत के बाद चंचल ने बॉलीवुड में भी अपना सिक्का जमा लिया। नरेंद्र की माता वैष्णो देवी को लेकर उनकी खास आस्था थी। साल 1944 से लगातार माता वैष्णो देवी के दरबार में आयोजित होने वाली वार्षिक जागरण में हाजिरी लगाते थे, लेकिन इस बार कोरोना की वह से ये संभव नहीं हो पाया और इत्तेफाक से वे दुनिया को ही अलविदा कह गए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here