हरिद्वार,योगी सरकार ने कोविड संक्रमण के मद्देनजर बकरीद पर्व के दौरान किसी भी आयोजन में 50 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी है। साथ ही कहा है कि अधिकारी सुनिश्चित करें कि राज्य में कहीं गोवंश व ऊंट आदि प्रतिबंधित पशु की कर्बानी न हो।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को टीम-9 की बैठक में यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कुर्बानी का कार्य सार्वजनिक स्थान पर न किया जाए। इसके लिए चिन्हित स्थलों व निजी परिसरों का ही उपयोग हो। स्वच्छता का विशेष ध्यान दिया जाए। कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन सुनिश्चित कराया जाए। यूपी सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि ”बकरीद पर्व के दृष्टिगत सभी आवश्यक प्रबंध किए जाएं. कोविड को देखते हुए पर्व से जुड़े किसी आयोजन में 50 से अधिक लोग एक स्थान पर एक समय में एकत्रित न हों. यह सुनिश्चित किया जाए कि कहीं भी गोवंश/ऊंट अथवा अन्य प्रतिबंधित जानवर की कुर्बानी न हो. स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए 21 जुलाई को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज सुबह 6 बजे से लेकर 10 बजकर 30 मिनट तक अदा करने की तैयारी है. बकरीद के दिन सुबह में नमाज अदा करने के साथ ही ईद मनाने की शुरुआत हो जाती है.
अल्लाह की राह में पैगम्बर इब्राहिम (पैगम्बर मोहम्मद से पहले जमीन पर आए अवतार) की कुर्बानियों की याद में मनाए जानेवाले त्योहार को ईद उल अजहा या बकरीद कहा जाता है. ये त्योहार पूरी दुनिया के मुसलमान बड़े ही जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं. इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया फरंगी महल के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने ईद उल अज़हा के सिलसिले में एक अहम एडवाइजरी जारी की है जिस पर देश के मुसलमानों से अमल करने की अपील की गयी है. ईदगाहों और मस्जिदों में ईद उल अज़हा की जमाअत में प्रशासन की गाइड लाइन के अनुसार सिर्फ 50 लोग ही नमाज़ अदा करे.2.ईद उल अज़हा की नमाज़ में भी मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का ख़ास ख्याल रखें.3.ईद उल अज़हा के दिन भी न किसी से हाथ मिलायें और न गले मिलें.4. उन्ही जानवरों की कुर्बानी की जाए जिन पर कोई कानूनी पाबन्दी नही है. 5. जानवरों की गन्दगी रास्तों या पब्लिक स्थानों पर न फेंके बल्कि नगर निगम के कोड़ेदानों ही का प्रयोग करें. 6. सड़क के किनारे, गली और पब्लिक स्थानों पर कुर्बानी न की जाए. 7. कुर्बानी के जानवरों का खून नालियों में न बहायें. उसको कच्ची जमीन में दफन कर दें ताकि वह पौधों और पेड़ों की खाद बन सके.