लम्पी बीमारी से दम तोड़ती गाय माता क्यों नही जागी सरकार क्यो नही जागा संगठन, जागो

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हरिद्वार, आज कल हमारे देश मे लम्पी बीमारी से रोज हजारों गाय माता दम तोड रही है वही अभी तक सरकार या कोई संगठन इस बीमारी से गाय माता की रक्षा नहीं कर सका जागो सनातन धर्म जागो देखो उन गाय को जिनकी आंखों मे आसू है लेकीन कोई देखने बाला नही

आखिर क्यों अगर किसी इंसान मे ये बीमारी पाई जाती तो सरकार इस को गंभीरता से लेती लेकिन सरकार शायद यह भूल गई कि गाय हमारी माता देश में करोनो आने के बाद सरकार ने तुरंत वैक्सीन का काम शुरू कर दिया था और लोगों को इस बीमारी से बचा भी लिया है लेंपी नामक बीमारी से गाय माता का इलाज के लिए कोई टीका क्यों नहीं बन पा रहा क्यों मर रही है हजारों गाय कई बीमारियों में काम आने वाला गाय का दूध जब गाय माता ही नहीं रहेगी तो दूध कहां से मिलेगा हर कोई अपने बचाव के लिए हॉस्पिटल और डॉक्टर के चक्कर काट देता लेकिन गाय माता हर रोज इस बीमारी से मर रही हैं लेकिन हिंदू धर्म के लोग और गौ रक्षक सेना कहने वाले कोई भी संगठन इस बात को गंभीरता से नहीं सोच रहा है सरकार जंगली चीतो के लिए तो गंभीरता दिखा रही है लेकीन गाय के लिए नही जागो सनातन धर्म जागो

कई परिवार तो ऐसे हैं जो गाय माता के दूध बेचकर अपने बच्चो का पालन पोषण करते हैं लेकीन जब से ये बीमारी गाय मे फैली है तब से लोगो ने अपने घरों मे गाय रखनी बंद कर दी है और कई लोगो ने तो दूध लेना भी बन्द कर दिया है जागो सनातन धर्म जागो

पशुओं के शरीर पर गांठे बनने लगती हैं। सिर, गर्दन और जननांगों के पास गांठों का प्रभाव ज्यादा होता है। दो से पांच सेंटीमीटर व्यास वाली गांठें पशुओं के लंबे समय तक अस्वस्थता का कारण बनती हैं। ये गांठें धीरे-धीरे बड़ी होती जाती हैं। पशुओं को तेज बुखार आता है। पशु दूध देना बंद कर देते हैं और चारा-पानी लेना भी बंद कर देते हैं। बीमारी के प्रभाव से पशुओं का गर्भपात हो जाता है। साथ ही कई पशुओं का खुर खराब हो जाता है और वे चल नहीं पाते।

ऐतिहासिक रूप से लम्पी 1929 में अफ्रीका में पाई गई थी। हाल के कुछ वर्षों में यह दुनिया के कई हिस्सों में फैल गई। 2015 में इस बीमारी ने तुर्की और ग्रीस, 2016 में रूस में पशुपालकों का बहुत नुकसान किया था। भारत में इस बीमारी को सबसे पहले 2019 में रिपोर्ट किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार 2019 से यह बीमारी 7 एशियाई देशों में फैल गई। भारत में अगस्त 2019 में ओडिशा में लम्पी का पहला मामला सामने आया था लेकिन अब यह 15 से अधिक राज्यों में फैल चुका है। इसकी संक्रामक प्रवृत्ति और प्रभाव के कारण वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ ने इसे नॉटिफाएबल डिजीज की श्रेणी में रखा है। यानी अगर किसी पशु में लम्पी बीमारी देखी जाती है तो पशुपालक तुरंत सरकारी अधिकारियों को सूचित करेंगे।

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