उत्तराखंड,प्रतिबंधित कप सीरप को लेकर प्रदेश भर के मेडिकल स्टोरों पर छापा

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हरिद्वार, उत्तराखंड में प्रतिबंधित कप सीरप को लेकर आज प्रदेश भर के मेडिकल स्टोरों पर छापे मारी की गई वही डॉक्टरों को निर्देश दिए गए कि प्रतिबंधित दवाई ना लिखे बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को देखते हुए प्रदेशभर में शनिवार को प्रतिबंधित कफ सीरप और दवाईयों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की संयुक्त टीमों ने छापे मारे।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर प्रदेशभर में ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई। यह अभियान हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में खांसी की दवा (कफ सीरप) के सेवन से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद शुरू किया गया है। उत्तराखंड सरकार ने इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मामला मानते हुए तत्परता से कार्रवाई प्रारंभ की है।

अपर आयुक्त ने देहरादून के जोगीवाला, मोहकमपुर समेत कई क्षेत्रों में औषधि दुकानों का निरीक्षण किया। सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस माह के भीतर सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और खुदरा दुकानों से सीरप के नमूने लेकर प्रयोगशाला परीक्षण करवाएं। ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि एफडीए की टीमें प्रदेशभर में सक्रिय हैं। यदि किसी भी स्तर पर दोष पाया गया तो संबंधित कंपनी या विक्रेता के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

डॉक्टरों से की अपील…बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सीरप न लिखें
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को आदेश जारी किए कि केंद्र की एडवाइजरी को प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू कराया जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य से बड़ा कोई विषय नहीं हो सकता। स्पष्ट निर्देश दिए कि औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से कफ सीरप के नमूने एकत्र करें। उनकी गुणवत्ता की प्रयोगशाला जांच कराएं ताकि किसी भी दोषपूर्ण या हानिकारक दवा को बाजार से तत्काल हटाया जा सके। उन्होंने सभी डॉक्टरों से अपील की है कि वे बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सीरप न लिखें। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनता के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा राज्य सरकार केंद्र की एडवाइजरी का पूरी गंभीरता से पालन कर रही है।

स्वास्थ्य मंत्री ने ये कहा: वहीं, स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि-राज्य सरकार केंद्र की एडवाइजरी का पूरी गंभीरता से पालन कर रही है. बच्चों की दवाओं से जुड़ी किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सभी चिकित्सकों और औषधि विक्रेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रतिबंधित सिरप को न लिखें और न बेचें. यह कदम बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है.-डॉ धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री-केंद्र सरकार की एडवाइजरी के मुख्य बिंदु दो साल से कम आयु के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग ठीक नहीं है केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह, सही खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही इनका उपयोग किया जा सकता है सरकार ने विशेष रूप से Dextromethorphan युक्त सिरप और Chlorpheniramine Maleate + Phenylephrine Hydrochloride संयोजन वाली दवाओं को चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया है.

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