हरिद्वार,भारतीय नेवी के 14जवान उत्तराखंड में हिमस्खलन की चपेट में आ गए हैं. फिलहाल उनको ढूंढने का काम जारी है. जवान 20 सदस्यों वाले एक पर्वतारोहण अभियान का हिस्सा हैं जो कि माउंट त्रिशूल पर जा रहा था. लेकिन रास्ते में ही यह हादसा हो गया. फिलहाल तेजी से तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.घटना की सूचना मिलते ही एनआईएम उत्तरकाशी से रेस्क्यू दल मौके के लिए रवाना हो गया है. यह हिमस्खलन त्रिशूली बेस कैंप से आगे बताया जा रहा है. यह हादसा उस समय हुआ जब कैंप 3 से समिट के लिए जा रहे थे. यह दल त्रिशूली पर्वत पर लगभग 6700 मीटर की ऊंचाई पर ट्रैकिंग करने गया था. भारतीय नौसेना की टीम हादसे का शिकार हुई है. सुबह लगभग 11 बजे एनआईएम से मदद मांगी गई. एनआईएम के प्रिंसिपल कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में इंस्ट्रेक्टर दीप शाही और सौरभ तीन लोगों की टीम 45 मिनट पहले रवाना हुई है. कर्नल अमित बिष्ट माउंट त्रिशूल को कर चुके हैं पहले समिट. उनके पास त्रिशूल का अनुभव
उत्तराखंड के मौसम को लेकर आज सुबह ही आईएमडी ने अलर्ट जारी किया है. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, अगले तीन दिनों तक उत्तराखंड के कई इलाकों में बारिश होने की संभावना है और बादल छाए रहेंगे.
लापता जवानों की खोजबीन और बेस कैंप में फंसे जवानों को निकालने के लिए दो अलग-अलग जगह से रेस्क्यू टीम पैदल ट्रेक पर भी रवाना हुई है। इनमें एक दल घाट सुतोल से और दूसरा दल जोशीमठ से आगे बढ़ा है।
त्रिशूल चोटी पर चढ़ने हैं दो रास्ते
त्रिशूल चोटी पर जाने के लिए मुख्य दो रास्ते हैं। जिनमें एक रास्ता जोशीामठ होते हुए जाता हैं। कुछ वर्षों से जोशीमठ वाले रास्ते से अनुमति नहीं दी जाती है। जबकि, दूसरा रास्ता चमोली के नंदप्रयाग घाट होते हुए जाता है। पर्वतारोही इसी रास्ते का उपयोग करते हैं। नौसेना के पर्वतारोही भी इसी रास्ते के जरिये त्रिशूल चोटी के आरोहण के लिए गए थे। तीन चोटियों का समूह होने के कारण इसे त्रिशूल कहते हैं।