उत्तराखंड, पूर्व दर्जाधारी मनीष वर्मा और उनकी पत्नि ने किया सरेंडर

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हरिद्वार,पूर्व दर्जाधारी मनीष वर्मा और उनकी पत्नी ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया है, जबकि उनके भाई को पुलिस ने कोर्ट के बाहर से किया गिरफ्तार। फिलहाल, तीनों को जेल भेज दिया गया है।साल 2012 में सुभारती ट्रस्ट के ट्रस्टी की शिकायत पर मनीष वर्मा, उनकी पत्नी व भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

मिली जानकारी अनुसार अधिवक्ता रजनीश कुमार गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मनीष वर्मा शुक्रवार को पत्नी और भाई के साथ सरेंडर के लिए कोर्ट में पेश हुए थे। उस दौरान अदालत ने आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट लाने को कहा। इसके बाद मनीष वर्मा, पत्नी और भाई की आरटीपीसीआर जांच कराई गई। शनिवार को कोरोना जांच रिपोर्ट मिले बिना ही मनीष और उनकी पत्नी एसीजेएम तृतीय के न्यायालय पहुंच गए। वहां उन्होंने जांच करने की रसीद दी। एसीजेएम तृतीय निहारिका मित्तल गुप्ता के अवकाश पर होने के चलते मामले की सुनवाई एसीजेएम चतुर्थ अभिषेक श्रीवास्तव की कोर्ट में हुई। यहां मनीष और उनकी पत्नी नीतू के सरेंडर करने पर तो भाई संजीव वर्मा को पुलिस के पेश करने के बाद न्यायालय ने तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।

सुभारती ट्रस्ट के ट्रस्टी की शिकायत पर मनीष वर्मा, उनकी पत्नी व भाई के खिलाफ वर्ष 2012 में मुकदमा दर्ज किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने ट्रस्ट को 100 बीघा जमीन बेचने का अनुबंध किया था, लेकिन मौके पर जमीन केवल 33 बीघा ही पाई गई। ऐसे में उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने करीब 67 बीघा जमीन के कागजात फर्जी दर्शाए थे।

2014 में हुई थी चार्जशीट
2014 में इस मामले में आरोपपत्र भी दाखिल किया गया था। इस बीच वादी ने सुप्रीम कोर्ट में इस मुकदमे के जल्द विचारण की अपील की थी। आरोप है कि इस सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष यानी वर्मा परिवार कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ था। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिए थे कि अभियोजन वर्मा व उनकी पत्नी और भाई की जमानत निरस्तीकरण का प्रार्थनापत्र कोर्ट में प्रस्तुत करें। इन आदेशों के क्रम में ही एसीजेएम तृतीय की कोर्ट ने 16 अगस्त को आदेश पारित किए थे।

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