हरिद्वार, उत्तराखंड में जालसाज और फर्जीवाड़े का लगातार कारोबार तेजी पर चल रहा है वही डॉक्टर की फर्जी डिग्री पर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही है इससे युवाओं के नौकरी के सपने भी चकनाचूर हो रहे हैं। देश भर में एलोपैथी पैरामेडिकल के डिग्री कोर्स संचालित करने वाले कॉलेजों के लिए स्टेट मेडिकल फैकल्टी, डिप्लोमा कोर्स चलाने वाले कॉलेजों के लिए पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीकरण जरूरी है।जिसके बाद आज एमसीयू ने दो जालसाजों की शिकायत डीआइजी जन्मेजय खंडूडी से की है। डीआइजी ने सीओ रायपुर पल्लवी त्यागी को जांच सौंप दी है
मिली जानकारी अनुसार देहरादून के नामी प्राइवेट अस्पतालों में काम कर चुके एमडी गेस्ट्रो सहित दो प्राइवेट डॉक्टरों की डिग्री फर्जी निकली है। उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल की जांच में दोनों ही डॉक्टरों की डिग्री फर्जी निकलने के बाद पुलिस से शिकायत की गई है। उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल के डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ डीडी चौधरी ने बताया कि फर्जी पाए गए डॉक्टरों में एक डॉ अंकित ब्यास एमडी गेस्ट्रो के रूप में शहर के कई अस्पतालों में काम कर चुके हैं।
डा. चौधरी ने बताया कि कुछ समय पूर्व एक अधिवक्ता ने जाली दस्तावेजों पर चिकित्सक बने कुछ व्यक्तियों की शिकायत की थी। जब उन्होंने जाच करवाई तो दो की डिग्री फर्जी पाई गई। एक ने राजस्थान के एक मेडिकल कालेज की डिग्री के साथ ही राजस्थान मेडिकल काउंसिल का पंजीकरण भी दिखाया था, लेकिन उत्तराखंड काउंसिल की जाच में डिग्री और पंजीकरण दोनों ही फर्जी पाए गए।
डीआइजी जन्मेजय खंडूड़ी का कहना है कि प्रारंभिक जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में सीओ रायपुर पल्लवी त्यागी को जांच सौंपी गई है। जांच में यदि इनकी डिग्री फर्जी पाई जाती है तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।