हरिद्वार, उत्तराखंड में जमीनों पर फर्जी बाड़े का धंधा जोर शोरो पर फल फूल राहा है जिसके चलते सरकार और पुलिस अलर्ट रहती है वही इस बार तो हद ही हो गई जब रक्षा मंत्रालय की 55 बीघा जमीन की फर्जी रजिस्ट्री कर दी गई सुभाष नगर चौक स्थित 2500 गज जमीन और माजरा स्थित 55 बीघा जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाने संबंधी मुकदमे कोतवाली में दर्ज किए गए थे। इनकी जांच में बिजनौर के नगीना निवासी हुमायूं परवेज का नाम सामने आया।
मिलि जानकारी अनुसार देहरादून फर्जी रजिस्ट्री घोटाले में अभीतक करीब 12 मुकदमें दर्ज हो चुके है, जिसमें 17 आरोपियों की गिरफ्तार हो चुकी है. देहरादून एसएसपी अजय सिंह ने इस मामले का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि सहायक महानिरीक्षक निबंधन संदीप श्रीवास्तव ने टर्नर रोड से सुभाष नगर चौक के बीच क्लेमनटाउन में लगभग 2500 गज भूमि और माजरा में 55 बीघा जमीन के फर्जी बैनामे के संबंध में कोतवाली नगर देहरादून में मुकदमा दर्ज किया गया था.
पुलिस ने मामले की जांच की तो मोहम्मद हुमायूं परवेज निवासी बिजनौर का नाम सामने आया. आरोप है कि हुमायूं परवेज ने अपने साथी समीर कामयाब और अन्यों की मदद से फर्जी बैनामे तैयार कर देव कुमार निवासी सहारनपुर की मदद से रिकार्ड रूम रजिस्ट्रार कार्यालय में साल 2016-17 में जिल्द में लगवा दिया था.
आरोपी ने पूछताछ में बताया कि उसने टर्नर रोड स्थित जमीन के सहारनपुर में अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज बनाए थे। इस जमीन का 1944 में अल्लादिया से अब्दुल करीम और अपने पिता जलीलू रहमान के नाम बैनामा बनाकर मालिक दर्शाया था। इसके उसने वर्ष 2016 में सहारनपुर के रजिस्ट्रार रिकॉर्ड रूम में जिल्द में चढ़वा दिया।
इस जमीन का कोई मालिक नहीं था। इस पर किसी ने 1958 तक हक भी नहीं जताया। लिहाजा, तत्कालीन जिलाधिकारी ने इस जमीन को रक्षा मंत्रालय को दे दिया था। रक्षा मंत्रालय वर्तमान में भी इस जमीन पर काबिज है। लेकिन, इस बात का जालसाजों को पता नहीं था। उन्होंने इस जमीन के सहारनपुर के रजिस्ट्रार कार्यालय से कागज लिए और वर्ष 2016 में फर्जी दस्तावेज से बैनामा दर्शा दिया।
जलीलू रहमान की मौत के बाद इस जमीन को वसीयत के आधार पर 2019 से 2020 के बीच हुमायूं परवेज ने 11 लोगों को बेच डाला। इससे कुल तीन करोड़ रुपये सहारनपुर के जेएंडके बैंक के खाते में जमा कराए। इसके साथ ही उसने अपने साथियों के माध्यम से माजरा स्थित 55 बीघा जमीन के फर्जी दस्तावेज बनवाए। इस जमीन के असली मालिक लाला सरनीमल व मनीराम से 1958 का फर्जी बैनामा बनाया गया। इसे भी उसने अपने पिता जलीलू रहमान और एक अन्य व्यक्ति अर्जुन प्रसाद के नाम दर्शाया। इसके बाद इस जमीन के सीमांकन के लिए एसडीएम कार्यालय और उच्च न्यायालय में भी प्रार्थनापत्र दिए। लेकिन, माजरा में इस जमीन पर रक्षा मंत्रालय काबिज है। लिहाजा, न्यायालय ने सीमांकन की कार्रवाई को खारिज कर दिया। फर्जी रजिस्ट्री मामले में अब तक 16 आरोपियों को गिरफ्तार जा चुका है.