उत्तराखंड, होली को लेकर संशय होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

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हरिद्वार,होली के त्योहार का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के मुताबिक फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाता है। साथ ही अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होली खेली जाती है। जिसे दुल्हेंडी के नाम से जाना जाता है। लेकिन इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया है। जिसको लेकर संशय बना हुआ है।

पूर्णिमा तिथि दो दिन होने से इस बार होलिका दहन की डेट को लेकर लोगों में संशय की स्थिति है. आइए जानते हैं पंचांग के अनुसार आपके शहर में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और विधि.

मिलि जानकारी अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 की शाम 4.17 पर शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 7 मार्च 2023 को शाम 6.09 तक है. होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है. होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है.

होलिक दहन के समय भद्रा काल जरुर देखा जाता है. कई जानकारों का मत है कि होलिका दहन भद्रा के पूर्णता समाप्त होने के बाद यानी 7 मार्च को करना शुभ होगा. वहीं कुछ का कहना है कि भद्रा के पुंछ काल होलिका दहन करने का शास्त्रीय विधान है. जो 6-7 मार्च की दरमियानी रात में रहेगा. भद्रा पुंछ में किए गए कामों में जीत प्राप्त होती है.

शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन की राख को घर में लाने से विभिन्न प्रकार की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
मान्यता है कि होलिका की राख को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखने से धन की वृद्धि, मस्तक पर लगाने से हर प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं, घर में छिड़कने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति लंबी बीमारी से ग्रसित है तो उसके नहाने के पानी में होलिका की राख डालकर स्नान करने से रोग से मुक्ति प्राप्त होती है।
जबकि आर्थिक समस्या या व्यवसाय में परेशानी होने पर होलिका की राख को घर में रखने या व्यवसाय स्थल पर छिड़कने से व्यवसाय सुचारू रूप से चलने लगता है।

होलिका में विभिन्न प्रकार की चीजों को अर्पण करने से कई प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं।
पंडित राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि नारियल अर्पण करने से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
बताशे अर्पण करने से सुख समृद्धि, चावल अर्पण करने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है।
गाय के गोबर के उपले अर्पण करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
जबकि गेहूं की बाली अर्पण करने से धन-धान्य की वृद्धि होती है।

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