हरिद्वार,भारत के साथ और भी बहुत सी संस्कृतियों में सूर्य और चंद्र ग्रहण को गर्भवती महिलाओं के लिए बुरा शगुन माना जाता है। यह धारणा है कि ग्रहण गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है लेकिन सभ्यताएं ऐसा सदियों से मानती आ रही हैं।
19 नवंबर 2021 को शुक्रवार के दिन अर्थ चंद्र ग्रहण लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, ऐशिया और अटलांटिक ओशियन के साथ पेसिफिक ओशन में भी अपना प्रभाव डालेगा। अगर आप भी गर्भवती हैं तो इस तरह से अपनी सुरक्षा कर सकती हैं
चंद्र ग्रहण 580 साल के बाद लगने जा रहा है. इसे सदी का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण माना जा रहा है. यह चंद्र ग्रहण पिछले 580 साल का सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण होगा. 19 नवंबर 2021 को लगने वाला चंद्र ग्रहण सदी का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण माना जा रहा है. ग्रहण की शुरुआत भारतीय समय के अनुसार सुबह 11 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा. इसकी समाप्ति शाम 5 बजकर 33 मिनट पर होगी. ग्रहण काल की कुल अवधि 5 घंटे 59 मिनट की होगी.
यह आंशिक चंद्र ग्रहण है इसलिए ग्रहण के दौरान सूतक नहीं लगेगा. ज्योतिषविदों की मानें तो भारत पर इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव नहीं रहेगा. क्योंकि यह आंशिक यानी उपछाया ग्रहण है, तो सूतक काल नहीं होगा. यह केवल पूर्ण ग्रहण होने पर ही लागू होता है. यदि पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है तो ग्रहण काल शुरू होने से 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है.
ग्रहण लगने से लेकर समाप्ति तक गर्भवती महिलाओं को किसी भी प्रकार से काटना, सिलना या पिरोना जैसे कार्य जिसमें सुई या धारदार चीजों का प्रयोग हो नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इससे गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंच सकता है।वैसे तो बुजुर्ग, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए ग्रहण काल के नियमों में छूट होती है लेकिन हो सके तो गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल के दौरान कुछ भी खाना नहीं चाहिए, क्योंकि माना जाता है कि इस समय रखा हुआ खाना दूषित हो जाता है। धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोना नहीं चाहिए। इस समय मानसिक रूप से ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। ग्रहण काल के दौरान जीभ पर तुलसी का पत्ता रखकर दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए।गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल के दौरान घर में ही रहना चाहिए। माना जाता है कि इस समय ग्रहण की छाया पड़ना शुभ नहीं रहता है। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को ग्रहण बिल्कुल नहीं देखना चाहिए। मान्यता है कि इससे गर्भ में पल रहे शिशु की मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।ग्रहण काल समाप्त होने के बाद गर्भवती स्त्रियों को स्नान अवश्य कर लेना चाहिए, अन्यथा गर्भस्थ शिशु को त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं। ऐसा मान्यताएं कहती हैं।
मेष :- गृह एवं वाहन सुख में कमी ,घबराहट ,सीने की तकलीफ, माता एवं पिता को कष्ट। वाणी में तीव्रता, क्रोध में वृद्धि, सम्मान एवं भाग्य में वृद्धि।
वृष :-पराक्रम वृद्धि,धार्मिक कार्यो पर खर्च,गृह एवं वाहन सुख पर खर्च में वॄद्धि,आंतरिक शत्रुओं में वृद्धि परंतु विजय । मानसिक चिंता , भाग्य का साथ । दाम्पत्य एवं प्रेम संबंधों में तनाव।
मिथुन:- बुद्धि में वृद्धि, मन अशान्त , आंखों में कष्ट , सीने एवं पेट की तकलीफ ,शत्रु विजय ,गृह एवं वाहन सुख पर खर्च । जीवन साथी एवं प्रेम संबंधों को लेकर तनाव।
कर्क :- मन अशांत, स्वास्थ्यगत समस्या ,अकारण तनाव, धन, सम्मान एवं नौकरी में वृद्धि ,विद्या वृद्धि,शत्रु विजय। संतान को लेकर चिंता। जीवन साथी एवं प्रेम संबंधों में वृद्धि।
सिंह :- सरकारी या उच्चाधिकारी से लाभ, गृह एवं वाहन सुख वृद्धि ,लाभ में वृद्धि ,मनोबल एवं स्वास्थ्य अचानक कमजोर पेट व पैर की समस्या ,मुकदमा या विवाद।
कन्या :- धन वृद्धि, वाणी की तीव्रता में वृद्धि, दाम्पत्य सुख वृद्धि ,पराक्रम वृद्धि ,विद्या में अवरोध ,आय के साधनों में परिवर्तन या वृद्धि, माता के सुख में वृद्धि ।
तुला :- धन वृद्धि , आन्तरिक डर ,क्रोध में वृद्धि , माता को कष्ट , दाम्पत्य में तनाव के साथ वृद्धि, परिश्रम में अवरोध। गृह एवं वाहन सुख में वृद्धि, पेट व पैर में कष्ट।
वृश्चिक:- मनोबल एवं स्वास्थ्य में तीव्र उतार-चढ़ाव , धन वृद्धि एवं खर्च वृद्धि , अचानक यात्रा संभव, विद्या में अवरोध, संतान को लेकर चिंता, पराक्रम वृद्धि।
धनु:-धनागम के नए स्रोत में अवरोध के साथ , मनोबल कमजोर, सफलता,पैर में चोट या दर्द ,विद्या वृद्धि, पेट एवं पेशाब संबंधित समस्या ,पिता को कष्ट, आंखों की समस्या।
मकर:- मानसिक चिंता, पारिवारिक तनाव ,दाम्पत्य में अवरोध ,पत्नी या प्रेमिका को कष्ट, आय के साधनों में वृद्धि, क्रोध में वृद्धि, संतान एवं शिक्षा को लेकर चिंता।
कुम्भ:- शत्रु विजय, व्यय में वृद्धि, सम्मान में वृद्धि, आँख की दिक्कत, आर्थिक लाभ, गृह एवं वाहन को लेकर चिंता, जीवन साथी को कष्ट, खर्च वृद्धि।
मीन:- संतान के प्रति चिंता, विद्या में अवरोध, भाग्य में अवरोध, पराक्रम एवं सम्मान में वृद्धि ,आय में वृद्धि, पेट एवं पेशाब की समस्या, वाणी तीव्र , धनागम।