हरिद्वार,कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने कांग्रेस को अलविदा कहते हुए भाजपा का दामन थाम लिया है उन्होंने कहा की बड़ी बात यह नहीं है की वह किसे छोड़ रहे बड़ी बात है किसके साथ जा रहे है जितिन ने साफ़ शब्दों में कहा वह जनता के हितों का कार्य नहीं कर पा रहे है उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक जितिन प्रसाद का भाजपा ज्वाइन करना 2022 के चुनाव के लिहाज से अहम हो सकता है। बता दें कि जितिन प्रसाद को यह बगावत विरासत में मिली है। दरअसल, जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद भी साल 2000 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ लड़े थे। हालांकि, वह हार गए थे। जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के सलाहकार भी रह चुके थे। इसके साथ ही जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे। जितिन प्रसाद के दादा ज्योति प्रसाद भी कांग्रेस के नेता थे। उनकी परनानी पूर्णिमा देवी नोबेल विजेता रबिंद्रनाथ टैगोर के भाई हेमेंद्रनाथ टैगोर की बेटी थीं।
जितिन प्रसाद 2001 में भारतीय युवा कांग्रेस में सचिव बने। 2004 में अपने गृह लोकसभा सीट, शाहजहांपुर से 14वीं लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमायी और जीते। पहली बार जितिन प्रसाद को 2008 में केन्द्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया गया। उसके बाद सन् 2009 में जितिन प्रसाद 15 वीं लोकसभा चुनाव लोकसभा धौरहरा से लड़े और 184,509 वोटों से विजयी भी हुए। जितिन प्रसाद 2009 से जनवरी 2011 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, 19 जनवरी 2011 से 28 अक्टूबर 2012 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और 28 अक्टूबर 2012 से मई 2014 तक मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय, यूपीए सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री रहें हैं। जितिन प्रसाद शाहजहांपुर, लखीमपुर और सीतापुर में काफी लोकप्रिय नेता हैं। जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश में शांतिप्रिय व विकासवादी राजनीती के लिए जाना जाता है