चरण उसी के पूजनीय होते हैं जिनके आचरण उच्च कोटि के होते हैं।पंडित राजेश अग्निहोत्री भागवताचार्य। आगरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में पंडित राजेश अग्निहोत्री भागवताचार्य ने कहा कि हमारी बहन बेटियां अपनी सनातन संस्कृति से दूर होती जा रही हैं और पाश्चात्य संस्कृति की तरफ बढ़ती जा रही हैं यह भविष्य के लिए अच्छा नहीं है।आप चिन्तन करके देखिए कि भगवान के जितने भी अवतार हुए हैं वो सब के सब भारत भूमि पर हुए हैं। अमेरिका, कनाडा, या अन्य किसी पश्चिमी देशों में नहीं हुए। मालूम है क्यों? क्योंकि वर्षा वहीं अधिक होती है जहां पेड़ पौधे अधिक होते हैं इसीलिए प्रकार भगवान भी वहीं अवतार लेते हैं जहां उनके भक्त अधिक होते हैं। आज के समय मैं देख रहा हूं कि टीवी और मोबाइल पर पिक्चरों, नाटकों, विज्ञापनों के माध्यम से अश्लीलता परोसी जा रही है जिसका बहन बेटियों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।आज के समय में छोटे छोटे बच्चे मोबाइल चला रहे हैं बो जब बार बार अश्लील दृश्य मोबाइल या टीवी पर देखते हैं तो उनके मस्तिष्क पर वही प्रभाव पड़ता है जो देखते हैं फिर उनके मन में अनेक प्रकार के विचार आने लगते हैं और जैसे विचार व्यक्ति के होते हैं उसी प्रकार का वह बन जाता है फिर वही आगे चलकर बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम देता है और आपराधिक मामलों में लिप्त हो जाता है। आजकल बहन बेटियां लाइक अधिक से अधिक मिलें इसलिए अपनी नाचते हुए वीडियो बनाकर रील्स बनाती हैं और फिर फेसबुक और ट्विटर अकाउंट पर डाल रहीं हैं उसमें भी वस्त्र भी ठीक प्रकार से नहीं पहनती हैं।आप लक्ष्मी, चण्डी, मीरा, गार्गी, दुर्गा, झांसी की रानी हो आप कोई नर्तकी नहीं हो।आप अपने आपको पहचानो। आपने ही ध्रुव,प्रह्लाद,नरसी, जैसे भक्तों को जन्म दिया है। आपने ही सूरदास, कबीर दास, तुलसीदास जैसे सन्तों को जन्म दिया है। आपने ही महाराणा प्रताप, शिवाजी,अनेक वीरों को जन्म दिया है।आप जब झांसी की रानी बनी तो। अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए।आप जब गार्गी बनीं तो बड़े बड़े विद्वानों को शास्त्रार्थ में हरा दिया।आप जब पन्ना धाय बनीं तो त्याग की मूर्ति बनकर आपने अपने कर्तव्य निर्वाह और राज्य की सुरक्षा के लिए अपने बेटे तक का बलिदान दे दिया । कहां तक बखान करूं आपके त्याग, बलिदान, भक्ति, ज्ञान से इतिहास भरा पड़ा है।आज आपको क्या हो गया। आपसे मैं हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि आप जागो, अपने आपको पहचानो,वापस आ जाओ अपनी भारतीय संस्कृति में।आप अपनी। मूल सभ्यता में होंगी तो यह समाज फिर से आपको पूजने लगेगा लेकिन याद रखना चरण उसी के पूजनीय होते हैं जिसके आचरण उच्च कोटि के होते हैं।














