देवबंद। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष व पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद मदनी ने असम राज्य में हुई हालिया कार्रवाइयों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि नफरत भड़काने वालों के लिए इस देश में कोई जगह नहीं है। मदनी ने सभी कार्रवाई को मानवीय सिद्धांतों के विरुद्ध और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करार दिया।
मंगलवार को मौलाना महमूद मदनी की ओर से जारी बयान में कहा असम के कई स्थानों का दौरा किया, जहां अपनी आंखों से दुखद दृश्य देखे, लोगों के चेहरों पर बेबसी और निराशा झलक रही थी। ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि लोगों को धर्म के आधार पर विभाजित जा रहा है और एक विशिष्ट पहचान रखने वाले समुदाय के विरुद्ध मियां और डाउटफुल जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है। मौलाना मदनी ने स्पष्ट कहा कि अगर कोई विदेशी यहां पाया जाए तो उन्हें बाहर किया जाए, हमारी संवेदना उनके साथ नहीं है। लेकिन जो भारत के नागरिक बेदखल किए गए हैं, उन्हें फिर से बसाया जाए। जहां बेदखली अपरिहार्य हो, वहां सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री जैसे उच्च पद पर आसीन व्यक्ति उन्हें बांग्लादेश भेजने की बात करते हैं, लेकिन वह उनके बयान से डरने वाले नहीं है। इसके उल्ट आम मुसलमानों के प्रति उनका रवैया कैसा होगा? यह सोचनीय विषय है। कहा कि देश में घृणा फैलाने वालों को कभी सहन नहीं किया जाएगा। जो लोग नफरत और दुश्मनी की आग भड़काते हैं, उनके लिए इस देश में कोई स्थान नहीं है, बेहतर होगा कि वह पाकिस्तान चले जाएं।
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