हरिद्वार ,ग्वालियर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन पंडित राजेश अग्निहोत्री ने अर्जुन और श्रीकृष्ण का संवाद सुनाते हुए कहा कि कथावाचक श्री प्रदीप मिश्रा जी युवा पीढ़ी को गुमराह करके कर्महीन बना रहे हैं जबकि श्री राम चरित मानस ( रामायण) में पूज्य गोस्वामी तुलसीदास जी कर्म को ही प्रधान बताते हैं।कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहि सो तस फल चाखा। और गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए कर्म को ही महत्व दिया।अब प्रश्न यह है कि क्या गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण में गलत लिखा ? और श्री मद् भगवद्गीता में भी क्या ग़लत लिखा?गीता में तो वही है जो श्रीकृष्ण ने कहा था। पंडित राजेश अग्निहोत्री ने यह व्यक्तव्य श्री प्रदीप मिश्रा जी के उस व्यक्तब्य पर कहा जिसमें उन्होंने एक उपाय विद्यार्थियों को बताया कि जो विद्यार्थी भले साल भर न पढ़ें हों लेकिन परीक्षा वाले दिन एक बेलपत्र शिवजी के ऊपर चढ़ाने से पास हो जायेगा। अग्निहोत्री जी ने कहा इसी प्रकार का कोई उपाय उन्होंने सीमा पर देश की रक्षा करने वालों को बता दिया और देश की रक्षा उपाय करने वाले रक्षा न करके उस उपाय करने में लग जायें तो सीमा पर क्या स्थिति होगी आट अंदाजा लगा सकते हैं। निर्मल बाबा ने भी किसी को जलेबी खिलाकर और किसी को दही बड़ा खिलाकर रुकी हुई कृपा को चालू करा दिया। अंत में उनकी भी कृपा न जाने कहां रुक गई। अवश्यमेव ही भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम।जीव जो कर्म करता है उसका फल उसे किसी न किसी जन्म में निश्चित ही भोगना पड़ता है। यथा धेनु सहस्रेषु, वत्सो विन्दति मातरम् । एवं पूर्वकृतं कर्म, कर्रतारमनुगच्छति ।।चाहे वह किसी भी योनि में हो उसके कर्म उसे ढूंढ ही लेते हैं जिस प्रकार हजारों गायों के बीच में बछड़ा अपनी मां को ढूंढ ही लेता है अंत में नरेशचंद्र मिश्रा,विश्वनाथ मिश्रा,वेदान्त
मिश्रा,श्रीमती सरोज मिश्रा, श्रीमती अलका अवस्थी, श्रीमती आरती
त्रिपाठी ,दीपक दीक्षित, दुष्यन्त दीक्षित, श्रीमती सीमा दीक्षित, श्रीमती सरोज दीक्षित, श्री मती संगम शर्मा,पदम , निमेष तिवारी, श्रीमती सुजीता तिवारी , दिव्यांश दीक्षित,आदेश अवस्थी आदि लोगों ने भागवत की आरती उतारी।