उत्तराखंड के पूर्व वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह कदम उनके द्वारा विधानसभा में पहाड़ी समुदाय के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद उत्पन्न व्यापक जनाक्रोश और विवाद के परिणामस्वरूप उठाया गया। जन अधिकार पार्टी इस घटना को जनता की संवेदनशीलता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान की जीत के रूप में देखती है।
पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तराखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक बहुगुणा ने इस संदर्भ में अपना बयान जारी करते हुए कहा:
“प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा इस बात का प्रमाण है कि उत्तराखंड की जनता अपने सम्मान और एकता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। उनकी टिप्पणी संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित समानता के अधिकार और अनुच्छेद 21 में निहित सम्मानजनक जीवन के अधिकार के खिलाफ थी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन यह किसी समुदाय को अपमानित करने का हक नहीं देता। यह घटना सभी जनप्रतिनिधियों के लिए एक सबक है कि उन्हें अपनी भाषा और व्यवहार में संवैधानिक मर्यादा का पालन करना होगा।”
उन्होंने आगे चेतावनी देते हुए कहा, “हम उत्तराखंड के नेताओं से आग्रह करते हैं कि वे ध्रुवीकरण की राजनीति से बचें। प्रदेश की एकता और अखंडता को बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। कोई भी नेता या दल जनता को विचारों में बांटने या समुदायों के बीच दरार डालने का प्रयास न करे। उत्तराखंड की ताकत इसकी एकजुटता में है, और इसे किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देना चाहिए। जन अधिकार पार्टी हर ऐसे प्रयास के खिलाफ सजग और सक्रिय रहेगी, जो हमारे राज्य को बांटने की कोशिश करे।”
जन अधिकार पार्टी इस मौके पर उत्तराखंड की जनता से अपील करती है कि वे एकता के सूत्र में बंधे रहें और ऐसी राजनीति का समर्थन करें जो सभी वर्गों के हितों को संरक्षित करे। पार्टी यह संकल्प दोहराती है कि वह उत्तराखंड की सांस्कृतिक अखंडता, सामाजिक समरसता और हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहेगी। हमारा लक्ष्य एक ऐसा उत्तराखंड है, जहां हर व्यक्ति—चाहे वह किसी भी क्षेत्र या समुदाय से हो—सम्मान और समानता के साथ जी सके।