राहुल गांधी कि सजा पर रोक भाजपा को लगा शॉर्ट

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हरिद्वार, मोदी सरनेम को लेकर कांग्रेस और भाजपा में पिछले कई दिनों से जंग छिड़ी हुई थी जिसके चलते कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. चार साल बाद 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी राहुल को हुई दो साल की सजा लागू हो जाती तो उनके छह साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती। इससे वे 2024 के साथ-साथ 2029 के लोकसभा चुनाव में भी हिस्सा न ले पाते। इससे कांग्रेस की संभावनाओं को गहरा झटका लग सकता था. सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से भाजपा को तगड़ा झटका लगा है।

मिलि जानकारी अनुसार मोदी सरनेम’ वाले बयान पर मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा और दोष सिद्धि पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसी फैसले के साथ राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी बहाल हो जाएगी.

राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था, ”नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?” राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था. अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, कोर्ट की टिप्पणी के अलावा ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई विशेष कारण नहीं बताया गया। यदि सजा एक दिन भी कम होती तो अयोग्यता से संबंधित प्रावधान लागू नहीं होता। ट्रायल जज से कम से कम यह अपेक्षा की जाती है कि वह गैर संज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम सजा देने के कारण बताएं। हालांकि, अपीलीय अदालत और हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने में काफी पन्ने खर्च किए हैं, लेकिन इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे मामलों में सार्वजनिक व्यक्ति से कुछ हद तक सावधानी बरतने की अपेक्षा की जाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बयान अच्छे मूड में नहीं होते हैं। सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। कोर्ट ने अवमानना याचिका में राहुल के हलफनामे को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें अधिक सावधान रहना चाहिए था।

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