हरिद्वार,उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय में आयोजित महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। इस दौरान उप राष्ट्रपति ने कहा कि विद्या एवं संस्कारों की तपस्थली में वेद-विज्ञान, संस्कृति महाकुम्भ जैसे वृहद आयोजन में मुझे आमंत्रित करके जो सम्मान दिया गया है उसके लिए मैं हार्दिक आभार प्रकट करता हूं।
मिलि जानकारी अनुसार अपने सम्बोधन के दौरान उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि माँ भारती के इस भू-भाग, देवभूमि उत्तराखंड में आना मेरा परम सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का वर्षों से नाम सुनता रहा हूं, आज पहली बार आने का मौका मिला है। नाम से ऊर्जावान होता रहा हूं, आज यहां से एक बड़ा संकल्प लेकर जाऊंगा।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़ के साथ आज अपने एकदिवसीय दौरे पर हरिद्वार पहुंचे और वहां गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किये जा रहे वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ के उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। गुरुकुल कांगड़ी द्वारा इस महाकुंभ का आयोजन स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस में अवसर पर किया जा रहा है
उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ गिने-चुने लोग अपनी संस्कृति, गौरवमयी अतीत और वर्तमान विकास को लेकर अपमान का भाव रखते हैं और भारत की महान छवि को धूमिल करने में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि इनके हर कुप्रयास को कुंठित करना हर भारतीयों का परम दायित्व है और कर्तव्य है। ये जो ताकतें, हमारी संस्कृति के विरोध में हैं, राष्ट्रवाद के विरोध में हैं, हमारे अस्तित्व के विरोध में हैं, उन पर प्रतिघात होना चाहिए!
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड के रिटायर्ड राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह भी मौजूद रहे. वहीं अपने भाषण में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संसद भवन देखने के लिए निमंत्रित किया और कहा कि वह बिना समय गवाएं एक बार संसद भवन जरूर देखने आएं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह सभी विद्यार्थियों को खुद संसद भवन दिखाएंगे और सभी विद्यार्थी और कुलपति हमारे संसद भवन में मेहमान होंगे.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अब हमें वेदों की ओर लौटना होगा और महर्षि दयानंद के जीवन की दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा. तब जाकर पुनः भारत विश्व गुरु बन सकता है, जिसके बारे में हमारे ऋषि मुनियों ने कल्पना की और आज हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इस दिशा में आगे बढ़ने का कार्य कर रहे हैं. यह बड़ी विडंबना है कि आज भी आमजन से वेद काफी दूर हैं. हमारे वेद आचार्य धर्माचार्य को चाहिए कि वह वेदों से आमजन को जोड़ें और यह कार्य तभी हो सकता है, जब इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होंगे.