हरिद्वार, कनखल क्षेत्र के जगजीतपुर में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज क्षेत्र में सरस मेला लगा हुआ है जो 20 दिसंबर से प्रारंभ होकर 29 दिसंबर तक समाप्त होगा इसमें पहाड़ से आए मेले में उत्तराखंड के अलावा देश के कई राज्यों से महिला स्वयं सहायता समूहों ने अपने उत्पादों की स्टॉल लगाए हैं। मैदान में कुल 148 स्टॉल सजे हैं। अधिकतर समूह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी हैं। उत्तराखंड के अधिकतर जिलों से समूह पहाड़ के पारंपरिक उत्पादों को बेचने आए हैं। युवा पीढ़ी के लिए कई पहाड़ के पारंपरिक उत्पाद कौतुक बने हैं। टिहरी की लाल मिर्च, अदरक, लहसुन जायकेदार होती है। बाहरी जिलों और राज्यों में इसकी मांग होती है। टिहरी के स्टॉल संचालक गीता रावत बताती हैं अरसा की मिठास परंपरा से जुड़ी है। अरसा गुड़-देशी घी और चावल के आटे से तैयार होते हैं। तीज-त्योहारों पर हर घर में अरसा बनते थे। पलायन से पहाड़ खाली हो गए। पलायन के साथ परंपराएं भी छूट गई हैं।
चीन से सटे सीमांत पिथौरागढ़ के मुस्यारी से लेकर उत्तरकाशी के हर्षिल की राजमा, नैनीताल के कोटाबाग से लेकर चंपावत और टिहरी की गडेरी-गहत के स्टॉलों पर भीड़ उमड़ रही है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों के मसालों और हर्बल टी की खुशबू लोगों को लुभा रही है। टिहरी के अरसा मुंह में मिठास घोल रहे हैं। मेले में जैविक उत्पादों की खरीदारी करने लोगों की भीड़ उमड़ रही है। लोहाघाट के लोहे की कढ़ाई का वजन देख लोग हैरत में पड़ रहे हैं।