हरिद्वार, आजकल स्कूली बच्चे रोड पर स्टेंट दिखाते हुए नजर आते हैं वही नियमो की हर रोज धज्जियां उड़ाते है हर साल रोड एक्सीडेंट में 50% नाबालिक बच्चों की मृत्यु हो जाती है जिसको देखते हुऐ उत्तर प्रदेश ने स्कूल मे वाहन ले जानें पर रोक लगा दी है सरकारी व निजी स्कूलों में विद्यार्थियों के दोपहिया व चार पहिया वाहन लाने पर सख्ती की जाएगी। विद्यालयों में रोड सेफ्टी क्लब बनाए जाएंगे। सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने को प्रत्येक कक्षा में एक विद्यार्थी को रोड सेफ्टी कैप्टन बनाया जाएगा। यह प्रत्येक सप्ताह में कम से कम एक पीरियड में विद्यार्थियों को सड़क दुर्घटनाओं के प्रति जागरूक करेंगे।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव के मुताबिक 899 राजकीय इंटर कालेजों को रोड सेफ्टी क्लब बनाने के लिए 50-50 हजार रुपये की धनराशि दी जा रही है। वहीं 2,373 सरकारी माध्यमिक स्कूलों को पांच-पांच सौ रुपये यातायात नियम दीवारों पर लिखवाने के लिए दिए गए हैं।
सात जनवरी तक विद्यालय प्रबंधन के साथ मिलकर परिवहन विभाग विशेष अभियान चलाएगा और ऐसे विद्यार्थियों की गाड़ी का चालान करेगा जो नियम विपरीत विद्यालय में वाहन लेकर आ रहे हैं। हर तीन महीने में विद्यालय परिवहन सुरक्षा समित की बैठक होगी। वहीं जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हर साल जनवरी व जुलाई में सभी स्कूलों की बैठक होगी।
उन्होंने केजीएमयू व डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर यह भी जानकारी दी है कि सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले 40 प्रतिशत तक नाबालिग बच्चे जिनकी आयु 12 वर्ष से 18 वर्ष के बीच होती है। सिर्फ 16 वर्ष से अधिक उम्र के किशोर को 50 सीसी से कम क्षमता के इंजन वाली मोटरसाइकिल चलाने की छूट है।
स्कूल विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावकों को भी अलर्ट करेगा कि मोटरवाहन संशोधन अधिनियम वर्ष 2019 की धारा 199(क) के अनुसार अगर कोई नाबालिग किसी वाहन से कोई दुर्घटना व अपराध करता है तो मोटर वाहन के स्वामी को तीन वर्ष तक की जेल, 25 हजार जुर्माना व गाड़ी का एक वर्ष तक रजिस्ट्रेशन रद किया जा सकता है। वहीं ऐसे किशोर को 25 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा।