हरिद्वार, विजय पंडित)जनसंख्या कानून न बनने तक हर हिन्दू चार बच्चे पैदा करे। पंडित राजेश अग्निहोत्री भागवताचार्य। आज के समय में हम दो हमारे दो का फार्मूला चल रहा है।एक बेटा एक बेटी या केवल दो बेटे ही,या केवल दो बेटियां ही,कुछ तो केवल एक बेटी ही,दूसरा बच्चा इसलिए नहीं करते हैं कहीं दूसरी बार कहीं फिर से बेटी न है जाये। कुछ तो जांच कराकर बेटी को भ्रूणहत्या करा देते हैं। कभी आपने सोचा कि आगे चलकर कितने रिश्ते खत्म हो जायेंगे? यदि एक बेटी होगी तो उस बेटी के बच्चे के लिए न तो मौसी का सम्बन्ध होगा और मौसा का। यदि एक बेटा होगा तो उस बेटे के लिए न चाची होगी और न चाचा होगा, न ताऊ होगा और न ताई होगी। यदि केवल दो भाई हैं तो उनके लिए न तो बहन होगी और न बहनोई होगा उनके बच्चों के लिए न बुआ होगी और न फूफा होंगे।जो केवल दो बहनें हैं तो उनके लिए न भाई है और न भाभी। उनके बच्चों के लिए न मामा है और न मामी। यहां अकेला आपका बेटा है और आपके बेटे की जो बहू है यहां भी अकेली है और अपने मायके में भी अकेली है।आप न अपनी बहू को भेज सकते हो और न अपनी बेटी को बुला सकते हो क्योंकि जिस घर में आपकी बेटी गई है वह वहां अकेली है तो फिर वह आपके यहां आकर कैसे मदद कर सकती है।और आप अपनी बहू को भी नहीं भेज पा रहे हैं उसके मायके में मदद करने के लिए क्योंकि यहां आपकी बहू अकेली है। इसलिए हिन्दुओं को चाहिए कम से कम चार बच्चे पैदा करें।एक को धर्म के रास्ते पर भेजो, दूसरे को देश की रक्षा में भेजो, तीसरे को देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए व्यापारी बनाओ और चौथे को अपने साथ घर में रखकर देश का अन्नदाता ( किसान) बनाओ।