केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (आइआइआइटी) की स्थापना को राज्य सरकार से प्रस्ताव मांगा। साथ ही पीपीपी मोड में इसकी संभावना पर भी विचार करने को कहा। श्रीनगर में एनआइटी के निर्माण कार्यों में देरी पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि जिम्मेदार कार्यदायी संस्था सीपीडब्ल्यूडी ठीक तरीके से काम नहीं करती तो अन्य संस्था से यह काम कराया जाना चाहिए।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ निशंक ने बुधवार को नई दिल्ली में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं उसके क्रियान्वयन, बालिकाओं के लिए शिक्षा, महिला सशक्तीकरण समेत कई योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। कोटद्वार, गोपेश्वर और अल्मोड़ा के डिग्री कॉलेजों को स्वायत्तता देने पर सहमति जताते हुए डॉ निशंक ने प्रदेश सरकार से इस संबंध में सूची बनाने और इसे यूजीसी को भी उपलब्ध कराने को कहा। उन्होंने कहा कि भविष्य में उक्त कॉलेजों को स्वायत्तता की दृष्टि से केंद्र सरकार को सुझाव दिए जा सकते हैं।
इस प्रस्ताव में राज्य सरकार हिमालयी, पिछड़े, दूरस्थ और बीहड़ के क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए अपनी तीन-चार प्राथमिकताएं दे सकती हैं। जहां पर केंद्र सरकार बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षा की सुविधाओं को प्रोजेक्ट के रूप शुरू करेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ऐसे प्रोजेक्ट भविष्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में बेहतर समाधान प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा महिलाओं के लिए दूरस्थ क्षेत्रों में छात्रावास और पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध करवाने पर भी बातचीत हुई।”
निशंक ने रावत से पौड़ी, टिहरी और श्रीनगर के तीनों कैम्पसों को विशेषता के आधार पर अलग-अलग करने पर भी विचार-विमर्श किया। इन तीनों में से एक को शोध, दूसरे को सामान्य और तीसरे को महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित किया जाएगा। डॉ. निशंक ने इस पर भी चर्चा की कि किस प्रकार केंद्र सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों के सरकारी स्कूलों को पोषित कर सकती है।
केंद्रीय मंत्री ने उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री से कोटद्वार, गोपेश्वर व अल्मोड़ा के कॉलेजों को स्वायत्तता देने के लिए उनकी सूची यूजीसी को भी उपलबध करवाने को कहा। उन्होंने यह भी सुझाव मांगे गए हैं कि निकट भविष्य में स्वायत्तता की दृष्टि से क्या किया जा सकता है। निशंक ने राज्य में आईसर और आईआईआईटी की स्थापना पर भी राज्य के शिक्षा मंत्री से सुझाव मांगे हैं। उन्हें आश्वस्त किया है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय इसके लिए जल्द से जल्द शेष अनुदान जारी करेगा।