हरिद्वार, गीता भवन की आयुर्वेदिक फार्मेेसी से निष्कासित नौ कर्मचारी और एक आठ साल का बच्चा आश्रम परिसर स्थित टंकी पर चढ़ गए। प्रशासन और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। करीब 11 घंटे से प्रशासन कर्मचारियों के मान मनौव्वल में जुटा है। लेकिन कर्मचारी नौकरी पर वापस रखने और लंबित वेतन के भुगतान को लेकर लिखित आश्वासन के बाद ही नीचे उतरने की जिद पर अड़े हैं। वहीं गीता भवन ट्रस्ट ने मामला लेबर कोर्ट में विचाराधीन होने का हवाला देते मांगों को लेकर अपना पल्ला झाड़ दिया है।
लेकिन घंटों की मशक्कत के बाद भी आक्रोशित कर्मचारियों को टंकी से उतारने में सफलता नहीं मिली। नगर पंचायत जौंक अध्यक्ष माधव अग्रवाल ने कर्मचारी की मांगों को जायज बताते हुए समर्थन देने की घोषणा की है पंचायत अध्यक्ष ने बताया कि औषधालय से करीब 36 कर्मचारियों को बिना कारण बताए निकाला गया है। यह निष्कासन उस समय हुआ जब त्यौहार करीब है। निकाले गए कर्मचारी बिहार से हैं, जहां का मुख्य पर्व छठ आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है। सेवा समाप्त होने पर इन कर्मचारियों के सामने त्योहार के समय आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। मौके पर क्षेत्र जनप्रतिनिधि दैनिक जनप्रतिनिधि कर्मचारी यूनियन के नेता संजय अग्रवाल सभासद नवीन राणा, जितेंद्र धाकड़, राजेंद्र प्रजापति, मुरली शर्मा भी कर्मचारियों के समर्थन में मौजूद है।
सूचना पर मिलने पर सुबह करीब 10.30 बजे तहसीलदार यमकेश्वर मनजीत सिंह और थानाध्यक्ष लक्ष्मणझूूला वीरेंद्र रमोला मौके पर पहुंचे। वहीं गीता भवन कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल और नगर पंचायत अध्यक्ष स्वर्गाश्रम जौंक माधव अग्रवाल पहले से ही मौके पर मौजूद थे। तहसीलदार ने गीता भवन के ट्रस्टी ईश्वर पटवारी को मौके पर बुलाया। लेकिन उन्होंने अपने प्रतिनिधि मैनेजर वीके राय को वार्ता के लिए भेज दिया। मैनेजर वीके राय ने मामला अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए मांगों को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने कहा मामला लेबर कोर्ट में लंबित है। लेबर कोर्ट का निर्णय पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। तहसीलदार के निर्देश पर लेबर अफसर मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि लेबर कोर्ट 12 नंवबर को मामले की सुनवाई होनी है। तहसीलदार मनजीत सिंह लेबर अफसर से बात कर 23 अक्तूबर को सुनवाई तय कराई। लेकिन इसके बाद कर्मचारी नहीं माने। फिलहाल तहसीलदार कर्मचारियों को मनाने में जुटे हैं।