हरिद्वार,दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को टेरर फंडिंग केस में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा आतंकी यासीन मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। मलिक को कुल 2 मामलो में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। पटियाला हाउस कोर्ट स्थित एनआईए (NIA) की विशेष अदालत ने सजा का ऐलान किया है
मिली जानकारी अनुसार आज सजा के फैसले से पहले यासीन मलिक के घर के बाहर लोगों ने सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की है, और साथ में नारे भी लगाए हैं। बवाल बढ़ने के बाद सुरक्षाबलों ने फायरिंग की और आंसू गैस के गोले दागे। टेरर फंडिंग मामले में दोषी आतंकी यासीन मलिक के अपराधों का इतिहास काफी पुराना है। यासीन मलिक ने पाकिस्तान के आतंकियों से मिलकर कई बड़ी वारदातों का अंजाम दिया था। साल 1989 वीपी सिंह की सरकार में मुफ्ती मोहम्मद सईद गृह मंत्री थे। उस समय श्रीनगर में तीन आतंकियों ने मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद को बस से अगवा कर लिया था। तभी यासीन मलिक ने सरकार के सामने पांच आतंकियों की रिहाई की शर्त रखी थी। यासीन की पाकिस्तान के आतंकियों से संबंध काफी पुराने थे और सरकार को यासीन की शर्त मानने के लिए विवश होना पड़ा।
यासीन ने 10 मई को अदालत को बताया था कि वह अपने खिलाफ लगाए गए आतंकी अधिनियम, आतंकी फंडिंग, आतंकी हरकतें, देशद्रोह, धोखाधड़ी मामलों का सामना अब नहीं करेगा। अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल सहित कश्मीरी 20 अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे।
सलाहुद्दीन और हाफिज सईद भगोड़ा घोषित
आरोप पत्र लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान में बैठे संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी दायर किया गया था, जिन्हें मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है।