भारतीय भाषाएं व भारतीय ज्ञान व्यवस्था राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की धुरी प्रोफेसर सत्येंद्र कुमार

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हरिद्वार,राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाने वाला कर्नाटक देश का पहला राज्य था, मध्य प्रदेश दूसरा और उत्तराखंड तीसरा राज्य बना ! उत्तराखंड में राष्ट्रीय शिक्षक 2022 में अपनाया गया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति सभी स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी में पूर्ण सफलता के साथ अग्रसर है इसी विषय को ध्यान में रखते हुए राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर नैनीताल के प्राचार्य प्रोफेसर एमसी पांडे द्वारा कैरियर काउंसिल सेल के तत्वाधान में अंग्रेजी विभाग द्वारा जिसके संयोजक सचिव डॉ अजय कुमार सक्सेना व प्रकाश सिंह बिष्ट थे, के तत्वाधान में चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर डीसी पंत के सानिध्य में, कार्यक्रम के संयोजक डॉ अनुराग श्रीवास्तव, डॉक्टर दीपक खत्री के द्वारा गुरु व्याख्यान श्रंखला चलाई जा रही है जिसमें पहली सीरीज में 35 व्याख्यान संपन्न हो चुके हैं दूसरी श्रंखला में आज 16 वा व्याख्यान था पिछले 2 वर्षों से अलग अलग विभाग द्वारा व्याख्यान कंडक्ट कराए जा रहे हैं! कभी किसी को मौका मिलता है, तभी किसी को मौका मिलता है
इस बार अंग्रेजी विभाग ने अपने प्रयास से एक व्याख्यान कराया जिसके मुख्य वक्ता प्रोफेसर सतेंद्र कुमार जो अंग्रेजी विभाग राजकीय मॉडल कॉलेज मीठी बेरी हरिद्वार में कार्यरत है, उन्होंने भारतीय ज्ञान व्यवस्था में भारतीय भाषाओं का राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अहम योगदान बताया आप ने बताया कि ड्राफ्ट के पार्ट थर्ड में भारतीय भाषाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है और थर्ड फार्मूला के द्वारा छात्रों को मौका दिया गया है कि वह अपनी मातृभाषा अथवा लोकल भाषा अथवा संस्कृत में इस ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं
भारत की भाषा संस्कृत रही है, वेदों की भाषा संस्कृत है, देवताओं की भाषा संस्कृत है और इस देश की भाषा संस्कृत है उन्होंने बताया की अर्थशास्त्र के जन्मदाता कौटिल्य ने भी विद्या, विवेक व विचक्षणता के माध्यम से छात्रों को किस प्रकार से ज्ञान दिया जाना चाहिए, पर प्रकाश डाला

संस्कृत के विद्वान दंडी आचार्य ने भी भाषा को ज्ञान का प्रकाश बताया जो वह छात्रों के जीवन में भाषा के माध्यम से रोशनी देता है और उसी के तहत वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं प्रोफेसर कुमार ने अवगत कराया कि भारतीय भाषाएं विशेष करके संस्कृत जो इस ब्रह्मांड की पहली भाषा है जिसमें ब्रह्मांड का पहला श्लोक आदि कवि वाल्मीकि के मुख से निकला था जिन्होंने ब्रह्मांड का पहला ऐतिहासिक ग्रंथ रामायण संस्कृत में लिखा था

आज की गुरु श्रृंखला कार्यक्रम में लगभग 50 से अधिक शिक्षक व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे जिनमें से रुड़की से डॉक्टर अर्चना त्यागी अंग्रेजी विभाग, रामनगर नैनीताल से 40 से अधिक छात्र-छात्राएं सतपुली से प्रोफेसर संजय कुमार, मीठी बेरी से डॉक्टर सुनील, डॉक्टर कुलदीप, डॉ सुनीता आदि उपस्थित थे

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