उत्तराखंड, किराये पर लेकर बनेगा हेलीपैड एवं हेलीपोर्ट कैवनेट ने दी मंजूरी

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हरिद्वार,हेलीपैड एवं हेलीपोर्ट नीति 2023 को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। वही प्रदेश में पर्यटन की दृष्टि से संभावनाशील स्थानों तक पहुंच सरल बनाने, आपातकालीन चिकित्सा एवं आपदा राहत सेवा देने में आने वाली चुनौतियों को देखते हुए निजी भूमि पर भी नए हेलीपैड बनाने का निर्णय लिया गया है। सोमवार को सचिवालय विश्वकर्मा भवन में स्थित वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली ’सभागार’ (पंचम तल) में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई। बैठक के बाद मुख्यमंत्री के विशेष सचिव शैलेश बगोली ने मंत्रिमंडल की ब्रीफिंग की।

मिली जानकारी अनुसार हेलीपैड और हेलीपोर्ट बना सकेगी. इस नीति में दो विकल्प रखे गए हैं. पहले विकल्प के तहत, जिसके पास करीब 1000 वर्ग मीटर या फिर करीब 4000 वर्ग मीटर की भूमि है वो अपनी भूमि को हेलीपैड या हेलीपोर्ट बनाने के लिए प्राधिकरण को 15 साल के लिए पट्टे पर भूमि दे सकते हैं. जिस पर प्राधिकरण हेलीपैड / हेलीपोर्ट बनाया जाएगा. जिसके अनुसार भूमि मालिक को हर साल 100 रुपए प्रति वर्ग मीटर के अनुसार किराया या फिर प्राप्त होने वाले राजस्व का 50 प्रतिशत हिस्सा दिया जाएगा.

विशेष सचिव बगोली ने बताया कि चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजकीय मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार में 100 एमबीबीएस प्रशिक्षु क्षमता के संचालन के लिए आवश्यक पदों का सृजन किया गया है। भारत सरकार की ओर से 90 :10 के अनुपात में केन्द्र पोषित योजना (सीएसएस) के अन्तर्गत राजकीय मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार को स्वीकृत किया गया है। राजकीय मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार को वर्ष 2024-25 से एमबीबीएस कक्षाएं संचालित किये जाने हेतु शासन स्तर से अनिवार्यता प्रमाण पत्र निर्गत किया जा चुका है। केन्द्र पोषित योजना (सीएसएस) के अन्तर्गत राजकीय मेडिकल कॉलेज, पिथौरागढ़ को स्वीकृत किया गया है। राजकीय मेडिकल कॉलेज, पिथौरागढ़ को आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए अनिवार्यता प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने की कार्रवाई गतिमान है।

माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत राजकीय हाईस्कूल एवं राजकीय इण्टर कालेजों में शिक्षकों के लम्बे अवकाश की स्थिति में छात्रहित में अस्थाई शिक्षकों को प्रतिवादन की दर से मानदेय पर कार्ययोजित किया है।

माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत शिक्षकों के रिक्त पदों के अतिरिक्त दीर्घावकाश यथा चिकित्सा अवकाश, मातृत्व अवकाश एवं बाल्य देखभाल अवकाश आदि के फलस्वरूप प्रदेश में हर समय लगभग 1500-2000 शिक्षक 15 दिन से 06 माह की अवधि तक अवकाश पर रहने के कारण छात्र-छात्राओं का शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। शैक्षिक गुणवत्ता पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सहायक अध्यापक एलटी और प्रवक्ता संवर्ग के महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक/ शिक्षिकाओं के कम से कम एक माह के दीर्घ अवकाश की स्थिति में सम्बन्धित विद्यालय के प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में गठित समिति की ओर से विज्ञप्ति प्रकाशित की जायेगी। निर्धारित शैक्षिक एवं प्रशिक्षण अर्हता रखने वाले अभ्यर्थी को मेरिट के आधार पर सहायक अध्यापक एलटी के विषयों के लिए 200 व प्रवक्त्ता के विषय हेतु 250. प्रतिवादन की दर से मानदेय सम्बन्धित खण्ड शिक्षा अधिकारी से अनुमोदनोपरान्त कार्ययोजित किया जायेगा। विद्यालय के सेवित क्षेत्र के निकटस्थ निर्धारित योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी को वरीयता प्रदान की जायेगी।

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