उत्तराखंड, हाई कोर्ट ने एसएसपी प्रीति प्रियदर्शनी और सीओ को हटाने का दिए आदेश

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हरिद्वार, आज हाई कोर्ट ने एसएसपी प्रीति प्रियदर्शनी और सीओ को हटाने का दिए आदेश कुछ दिन पहले हल्द्वानी जेल मे बंद एक कैदी की मौत हो गई थी जिसको लेकर हाई कोर्ट ने गम्भीरता से लिया उच्च न्यायालय ने गुरुवार को इस मामले को सीबीआई को सौंपा दिया। साथ ही नैनीताल की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) श्रीमती प्रीति प्रियदर्शिनी, हल्द्वानी के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) और आरोपी सभी बंदी रक्षकों को भी हटाने के निर्देश दिये हैं।

बीती 06 मार्च को हल्द्वानी उपकारागार में कैदी प्रवेश कुमार की संदिग्धावस्था में मौत हो गयी थी। आरोप है कि कैदी की रक्षकों ने पिटायी की थी। बाद में कैदी की तबियत बिगड़ने पर उसको अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गयी। आरोप है कि पुलिस ने परिजनों की शिकायत पर भी मामला दर्ज नहीं किया। इसके बाद मृतक की पत्नी भारती की ओर से नैनीताल विधिक सेवा प्राधिकरण को लिखित शिकायत भेजी गयी। प्राधिकरण के सचिव की ओर से इस पत्र को एसएसपी नैनीताल को जांच के लिये भेज दिया गया।
एसएसपी नैनीताल की ओर से बताया गया कि मामले की मजिस्ट्रियल जांच चल रही है। इसलिये इसमें अभियोग पंजीकृत नहीं किया गया। मृतक की पत्नी को आखिरकार अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा और निचली अदालत के आदेश पर मामला दर्ज किया गया। आरोप है कि इसके बावजूद आरोपित बंदी रक्षकों को नही हटाया गया। इसके बाद मृतक की पत्नी भारती की ओर से इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। इस प्रकरण में आज महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर की ओर से पैरवी की गयी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संजीव कुमार ने बताया कि न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की पीठ ने इस मामले में गंभीर रूख अख्तियार करते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी।
मामले को हाई कोर्ट ले जाने वाले काशीपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव कुमार आकाश कहते हैं कि उन्हें और पीड़ित परिवार को शुरुआत से पुलिस और जेल प्रशासन पर भरोसा नहीं था। केस की जांच जिस रफ्तार से चल रही थी उससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि विवेचना का अंजाम क्या होगा। अभी तक केस के गवाह के बयान तक दर्ज नहीं हो सके थे। लेकिन हाईकोर्ट के फैसले ने न्याय की प्रबल उम्मीद जगा दी है। सीबीआई से न्याय की पूरी उम्मीद है

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