उत्तराखंड, महिला के प्रसव के दौरान अस्पताल के गेट पर बच्चे को जन्म देने के मामले मे स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जांच के आदेश

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हरिद्वार, सरकार सरकारी अस्पताल को हर तरह की सुविधा दे रही है वही कुछ डॉक्टर अपनी लापरवाही दिखाते नज़र आ रहें है आज हल्द्वानी के सरकारी अस्पताल के बाहर एक महिला ने अपने बच्चे को जन्म दिया है वही इस मामले मे स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए

मिली जानकारी अनुसार सीएम पुष्कर धामी के गृहक्षेत्र खटीमा में इलाज न मिलने पर दर्द से तड़पती गर्भवती हल्द्वानी महिला अस्पताल पहुंची। यहां उसे भर्ती करने के बजाय भगा दिया। गर्भवती की ठीक से जांच तक नहीं की गई। दर्द अधिक बढ़ने पर अस्पताल के गेट पर खुले में मोबाइल की रोशनी में प्रसव हुआ।

खटीमा के टेड़ाघाट निवासी मनोज कुमार प्रसव पीड़ा होने पर अपनी 22 वर्षीय पत्नी प्रीति को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए थे। मनोज ने बताया कि वहां पर सिजेरियन करने की सलाह दी गई। इसके लिए सहमति जता दी थी, लेकिन वहां पर बेहोशी वाले डाक्टर ही नहीं थे। पत्नी को डा. सुशीला तिवारी अस्पताल ले आया। रात ढाई बजे चुके थे। पत्नी को इमरजेंसी में ले गए। वहां पर डाक्टरों ने पुरानी रिपोर्ट देखकर ही हमें भगा दिया।मनोज का आरोप है कि डाक्टर व स्टाफ ने बच्चा तिरछा होना बताया और हमें कहीं और ले जाने को कहा। जांच तक नहीं की। रात में कहीं और जाना संभव नहीं था। पत्नी को लेकर गेट के पास बैठ गए।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने महिला अस्पताल हल्द्वानी के गेट पर गर्भवती महिला के प्रसव पर नाराजगी जताते हुए सचिव स्वास्थ्य को जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने तीन दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि गर्भवती महिला को सरकारी अस्पताल में प्रसव की सुविधा न मिलना अस्पताल की घोर लापरवाही है।उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके किसी भी सूरत में बख्सा नहीं जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकारी अस्पताल के बाहर गर्भवती महिला के प्रसव होने के साथ ही उप जिला अस्पताल खटीमा एवं सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी के द्वारा प्रसव पीड़िता को रैफर किये जाने की भी जांच करने को कहा गया है।

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