सीएए को लेकर भड़काऊ बयानबाजी करने के लिए जिलाधिकारी अलीगढ़ ने 13 फरवरी 2020 को कफील खान को रासुका में निरुद्घ करने का आदेश दिया था. यह अवधि दो बार बढ़ाई जा चुकी है. याचिका में निरूद्घि की वैधता को चुनौती दी गई है. हालांकि कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाने में दर्ज एक मुकदमे में 29 जनवरी 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था. जेल में रहते हुए रासुका तामील कराया गया है.याची ने डॉ. कफील खान की रासुका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने हाईकोर्ट को मूल पत्रावली भेजते हुए तय करने का आदेश दिया है. इस मामले में प्रदेश सरकार और याची के सीनियर वकील द्वारा पहले भी कई बार समय मांगा गया था उन्हें बुधवार आधी रात को रिहा कर दिया गया.
मिली जानकारी के अनुसार कफील के वकील ने बताया कि मथुरा जेल प्रशासन ने रात करीब 11 बजे उन्हें यह सूचना दी कि डॉक्टर कफील को रिहा किया जा रहा है. उसके बाद रात करीब 12 बजे उन्हें रिहा कर दिया गया. उनके वकील ने कोर्ट में बताया कि ‘उनके खिलाफ लगाए गए आरोप CD में अपलोड किए गए थे. लेकिन जेल में उन्हें ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई, जिससे कि वो सीडी देखी जा सके. न ही उन्हें चार्ज की कोई स्क्रिप्ट दी गई. ऐसे में कफील खान को इसका पता ही नहीं चला कि उनके खिलाफ बुनियादी आरोप क्या हैं.’
जेल से रिहाई के बाद कफील ने अदालत का शुक्रिया अदा किया. साथ ही कहा कि वह उन तमाम शुभचिंतकों के भी हमेशा आभारी रहेंगे जिन्होंने उनकी रिहाई के लिए आवाज उठाई. उन्होंने कहा कि प्रशासन उन्हें अब भी रिहा करने को तैयार नहीं था लेकिन लोगों की दुआ की वजह से वह रिहा हुए हैं, मगर आशंका है कि सरकार उन्हें फिर किसी मामले में फंसा सकती है. कफील ने कहा कि वह अब बिहार और असम के बाढ़ ग्रस्त इलाकों में जाकर पीड़ित लोगों की मदद करना चाहेंगे.